विषय-सूची
- रेडियो क्या हैं? (What is Radio Journalism in Hindi)
- रेडियो की शुरुआत (Evolution of Radio Broadcasting)
- रेडियो का इतिहास क्या हैं? (History of Radio in Hindi)
- भारत में रेडियो की शुरुआत – (Evolution of Radio in India)
- रेडियो का आविष्कार किसने किया? (Radio Invention in Hindi)
- आकाशवाणी क्या हैं? (AIR in Hindi)
- आकाशवाणी के कार्यक्रमों को चार भागों में बाटा गया हैं। जो निम्नलिखित हैं :-
- कार्यक्रम
- विविध भारती एवं विज्ञापन सेवा
- समाचार सेवा प्रभाग
- विदेशी प्रभाग
- रेडियो का महत्व क्या हैं? (Importance of Radio in Hindi)
- रेडियो के कार्य – (Use of Radio in Hindi)
- रेडियो में फील्ड रिपोर्टिंग – (Field Reporting in Radio)
- रेडियो फील्ड रिपोर्टिंग के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:
- व्यावसायिक रेडियो क्या हैं? (Commercial Radio in Hindi)
- नई सेवाएं
- बधाई संदेश
- वर्गीकृत विज्ञापन
- लाइव स्पॉट
- आकाशवाणी स्टूडियों को किराये पर देना
- सीधी बुकिंग
- शैक्षिक रेडियो क्या हैं? (Educational Radio in Hindi)
- रेडियो शिक्षा के निम्नलिखित आयाम इस प्रकार है।
- निष्कर्ष (Conclusion)
रेडियो क्या हैं? (What is Radio Journalism in Hindi)
वर्तमान से पिछले दौर में चले तो रेडियो के विकास को पूरा एक शताब्दी बित चला हैं। रेडियो, रेडियो तरंगों द्वारा ध्वनि संचार, जैसे संगीत, समाचार, और एकल प्रसारण स्टेशनों से अन्य प्रकार के कार्यक्रमों के प्रसारण के माध्यम से रेडियो को अलग-अलग श्रोताओं तक पहुचाई गई। 20 वीं शताब्दी में रेडियो ने आश्चर्यजनक रूप से प्रसारित हुआ और जनता को समाचार और मनोरंजन प्रदान किया।
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ब्रॉडकास्ट रेडियो दुनिया में सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक मास माध्यम बना रहा है। हालांकि आधुनिक जीवन में इसका महत्व टेलीविजन से मेल नहीं खाता था और 21 वीं सदी की शुरुआत में इसे डिजिटल उपग्रह – और इंटरनेट आधारित ऑडियो सेवाओं से अधिक प्रतिद्वंद्वी दबाव का सामना करना पड़ा।
शताब्दी के शुरुआत में ‘रेडियो मैगनेटिक वेव्स’ का अविष्कार हुआ और इसी बीच पहला विश्व युद्ध छिड़ा। युद्ध के समय में ही जर्मनी, ब्रिटेन, फ़्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोबियत संघ आदि अपने-अपने तरीके से इलेक्ट्रोनिक के इस अजूबे को अधिक और बेहतर इस्तेमाल के लिए जुटे हुए थे। आपको बात दे की सबसे पहले सफलता की बाजी अमेरिका के हाथो लगी।
रेडियो की शुरुआत (Evolution of Radio Broadcasting)
- “सेम्युअल एफ०बि० मोर्स और अल्फ्रेड वेल” 1835-36 ई० में दोनों ने मिलकर 17 सौ फीट लम्बे तार के माध्यम से संदेश-प्रेषण किया।
- 1843 ई० में वांशिगटन से बाल्टीमोर तक संदेश संचारित किया गया।
- 1866 ई० में साइटस फील्ड के देख-रेख में समुन्द्रपारीय केबल बनाया गया। उसी समय अमेरिका से यूरोप को मोर्स कोड संदेश भेजा गया जो अंतराष्ट्रीय संचार का एक प्रारम्भिक चरण था।
- इतावली इलेक्ट्रिकल इंजिनियर मार्कोनी ने 1895 में रेडियो का अविष्कार किया।
- 1815 में उन्होंने एक मिल की दुरी तक रेडियो संचार स्थापित करने में सफलता पाई।
- पांच वर्षो बाद 1901 में वह अटलांटिक के पर पहला संदेश भेजने में सफल हुए।
- 1901 में उन्हें भोतिकी का पुरस्कार प्रदान किया गया।
- विश्व का पहला रेडियो समाचार 1916 में पारित किया गया।
- 1919 में ‘रेडियो कारपोरेशन ऑफ अमेरिका’ की स्थापना हुई।
- 21 दिसम्बर, 1922 को ईस्ट पिट्सबर्ग में ‘रेडियो-ब्रॉडकास्टिंग’ की स्थापना की गई।
- 1922 में ही ब्रिटेन में ‘ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी’ (British Broadcasting Company) की स्थापना हुई।
- 01 जनवरी, 1927 को इसका नामकरण बी. बी. सी. (B.B.C.) हुआ।
रेडियो का इतिहास क्या हैं? (History of Radio in Hindi)
भारत में रेडियो की शुरुआत – (Evolution of Radio in India)
- 31 जुलाई, 1924 को भारत में रेडियो-प्रसारण की शुरुआत निजी कम्पनियों के माध्यम से हुई। “टाइम्स ऑफ इण्डिया” व “डाक तार विभाग” ने मिलकर बम्बई से रेडियो कार्यक्रमों के प्रसारण की शुरुआत की थी।
- 1926 में ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी‘ (India Broadcasting Company) का निर्माण हुआ।
- कम्पनी ने सरकार से 13 सितम्बर, 1926 को प्रसारण करने का लाइसेंस प्राप्त किया और बम्बई व कलकत्ता में मीडिया वेव ट्रांसमीटर लगाये गये।
- 23 जुलाई, 1927 को भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन ने बम्बई स्टेशन का उद्घाटन किया।
- 26 अगस्त, 1927 को कलकत्ता केंद्र का भी उद्घाटन हुआ।
- 1927 में ही ब्रिटिश सरकार ने ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी’ का नाम बदल कर “इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस” कर दिया।
- 1 मई, 1935 को इस पर बी. बी. सी. के अधिकारी लायनल फिल्डेन की नियुक्ति किया गया।
- 8 जून, 1936 को ‘इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज’ का नाम बदल कर “आल इण्डिया रेडियो” (All India Radio) कर दिया गया।
- जब दिल्ली केंद्र से प्रसारण शुरू हुआ तो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को शामिल किया गया।
- 9 सितम्बर, 1937 को आल इण्डिया रेडियो के पहले सम्पादक “श्री चार्ल्स वानर्स” ने बने।
- साथ ही समाचार प्रसारण के लिए “सेन्ट्रल न्यूज आर्गेनाइजेशन” (Central News Organization) गठित किया गया।
रेडियो का आविष्कार किसने किया? (Radio Invention in Hindi)
जरुर पढ़े- कैमरा क्या है? (What is Camera in Hindi) – जानिए हिंदी में।
- रेडियो का अविष्कार जी. मार्कोनी (G. Marconi) ने किया था।
- मार्कोनी एक इटालियन आविष्कारक थे।
- उसका पूरा नाम Guglielmo Marconi (गुग्लिएल्मो मार्कोनी) था।
- मार्कोनी ने रेडियो तरंगो के संचार को साबित कर दिया।
- उन्होंने इटली में 1895 में अपना पहला रेडियो संकेत भेजा और पाया था।
- 1909 में मार्कोनी को वायरलेस टेलीग्राफ के लिए भैतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला।
- 1923 में रेडियो पर Advertising की शुरुआत हुई।
आकाशवाणी क्या हैं? (AIR in Hindi)
- 8 जून, 1936 को ‘इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज’ का नाम बदल कर “आल इण्डिया रेडियो” (All India Radio) कर दिया गया।
- 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा।
- 24 अक्तूबर 1941 को भारतीय सुचना-प्रसारण मंत्रालय की स्थापना की गई।
- इसकी स्थापना के बाद आकाशवाणी भारतीय सुचना-प्रसारण मंत्रालय के अन्दर काम करने लगी।
- 12 नवम्बर को महात्मा गांघी ने पहला रेडियो प्रसारण भारतीय जनता के नाम सम्प्रेषित किया।
- आकाशवाणी ‘प्रसार भारती’ के अंतर्गत कार्य करता है।
- 1990 में प्रसार भारती अधिनियम आया।
आकाशवाणी के कार्यक्रमों को चार भागों में बाटा गया हैं। जो निम्नलिखित हैं :-
कार्यक्रम
6-14 वर्ष के बालको के लिए लघु कहानी, नाटक, कविता एवं व्यंग्य-रचनाएँ प्रसारित होती हैं।
ग्रामीण और शहरी कामकाजी महिलाओं के लिए उपयोगी और मनोरंजक बात-चित एवं गीतों का प्रसारण होता हैं।
किसानो के लिए खेती से जुडी जानकारियाँ जैसे – खाद, बीज, भुमिशोधन, पैधा-रोपण, भण्डारण, पशुपालन, मछलीपालन आदि इन विषयों के बारे में बताया जाता हैं।
15-30 वर्ष के युवको को राष्ट्रीय विकाश की धरा से जोड़ने के लिए “युववाणी कार्यक्रम” प्रसारित होता हैं।
विविध भारती एवं विज्ञापन सेवा
विविध भारती सेवा के माध्यम से फ़िल्मी संगीत, सुगम संगीत, लाघुवार्ता आदि कार्यक्रम प्रसारित होता हैं।
समाचार सेवा प्रभाग
इस प्रभाग का काम समाचारों को इकठा कर प्रसारण करना हैं।
विदेशी प्रभाग
आकाशवाणी के विदेशी प्रभाग सेवा का काम हैं। विदेशों में भारतीय संस्कृति, भारतीय सभ्यता, हिंदी फ़िल्मी संगीत, समाचार और देश के विभिन्न इतिहासों विदेशी स्रोताओं को अवगत करना हैं।
रेडियो का महत्व क्या हैं? (Importance of Radio in Hindi)
- संचार क्रांति के इस दौर में रेडियो की महत्ता आज भी बरकरार है।
- आजादी के आंदोलन के समय और आजादी के बाद रेडियो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने की सूचना रेडियो के माध्यम से ही गांव-गांव तक पहुंची थी।
- रेडियो की महत्ता को बरकरार रखने में रेडियो श्रोता महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।
- आज के समय में रेडियो के क्षेत्र में क्रांति तब आई जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जन-संवाद के लिए रेडियो को अपना माध्यम बनाया।
- वे 3 अक्टूबर 2014 से हर महीने के हर रविवार को सुबह 11 बजे ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम में आकाशवाणी के माध्यम से ज्वलंत मुद्दों की चर्चा करते हैं।
- ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम का असर ये हुआ कि बरसों से बंद पड़े रेडियो दुकानों के शटर पुनः खुल गये।
- असल में प्रधानमंत्री मोदी ने आज के दौर में रेडियो के महत्व को बढ़ाया है।
- इसी समय में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने 13 सितम्बर 2015 से आकाशवाणी के माध्यम से ‘‘रमन के गोठ’’ का प्रसारण शुरू किया।
- इस कार्यक्रम का प्रसारण भी हर माह के दुसरे रविवार को सुबह 10.45 बजे किया जाता है।
- रेडियो के माध्यम से मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह प्रदेश के चहुमुखी (All-round) विकास के साथ-साथ शिक्षा, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य से जुड़ी बातों पर चर्चा करते हैं।
रेडियो के कार्य – (Use of Radio in Hindi)
- सूचनात्मक कार्य:- सुचना का सबसे अच माध्यम रेडियो हैं। इसकी सहायता से हम सुचना, समाचार व जानकारियों को श्रोता तक पंहुचा पाते हैं। देश के साथ-साथ पूरी दुनिया की ख़बरों को बड़ी आसानी से लोगों तक पंहुचाते हैं। इस कार्य को रेडियो अपने स्थापना काल से ही करता आ रहा है।
- शिक्षात्मक कार्य:- रेडियो के शिक्षात्मक कार्य का उदेश्य केवल पढ़ना-लिखना नहीं हैं। बल्कि अपने श्रोताओं को समाज में उपलब्ध साधन को उपयोग करने बताता हैं। इसके लिए रेडियो पर एनसीईआरटी और इग्नू के अनेक शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है।
- जागरूकात्मक कार्य:- रेडियो अपने कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में जागरूकता फ़ैलाने का काम करता हैं। वर्तमान समय में रेडियो जातिवाद, सम्प्रदायवाद, दहेज प्रथा, क्षेत्रवाद जैसी सामाजिक बुराईयों के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहा है।
- मनोरंजनात्मक कार्य:- रेडियो का चौथ और सबसे प्रमुख कार्य अपने श्रोताओं का मनोरंजन करना है। रेडियो पर गीत, संगीत, कविता, नाटक इत्यादि का प्रसारण किया जाता है। अपने श्रोताओं का मनोरंजन करने के लिए रेडियो उनकी भाषा में सूचना, जागरूकता व शिक्षा ये सभी का प्रसारण के बीच में स्थानीय लोकगीत आदि का प्रसारण भी करता है।
रेडियो में फील्ड रिपोर्टिंग – (Field Reporting in Radio)
आकाशवाणी के समाचार संग्रह का कार्य, लेखन एवं प्रसारण लगभग समाचार पत्रों की ही तरह होता हैं। लेकिन तकनीकी अंतर के कारण रेडियो के फील्ड रिपोर्टिंग नए रूप में श्रोता-दर्शको व पाठको को कुरेदती हैं। संवाददाता दोनों ही माध्यमो के लिए एक ही मानक से समाचार संकलन एवं प्रेषण का कार्य करते हैं। वह है : – “समाचार मूल्य” (News Value) : – रेडियो में समाचार प्रसारण के लिए एक निश्चित समय-सीमा होती हैं। इतने ही समय में सारे क्षेत्र के समाचार को बताना होता हैं। रेडियो रिपोटर के पास फील्ड रिपोर्टिंग के लिए जयादा समय नहीं होता हैं।
रेडियो फील्ड रिपोर्टिंग के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:
- फिल्ड रिपोर्टिंग आखों देखा, कानों सुना सच हैं। जिसे श्रोता रेडियो के माध्यम से सुनता एवं महसूस करता हैं।
- क्योंकि रेडियो की सीमा शब्दों व आवाज तक हैं संवाददाता को शब्दों के माध्यम से पूरी घटना को समझाना पड़ता हैं।
- रिपोटर को सावधान, खबर को जाचने आना चाहिए।
- घटना एवं स्म्स्चार तक जल्दी पहुंचना व घटना के पहलुओ का आकलन आवश्यक हैं।
- खेलों, सांस्कृतिक समारोहों, विशिष्ठ आयोजनों, भाषणों आदि में यदि घटना के अनुसार बैकग्राउंड मियुजिक लग जाये ओ समाचार में चार चाँद लग जाते हैं।
- माचर को इकठा करना भी एक कला हैं और फील्ड रिपोटर को समाचार पर पैनी नजर रखनी चाहिए क्योंकि संवाददाता को समाचार तक खुद ही पहुंचना होता हैं।
- रिपोर्टिंग में टेप-रिकार्डर के माध्यमों से टेप कर लेना चाहिए ताकि समाचारों के क्रम उसक टेप का इस्तेमाल हो सके।
व्यावसायिक रेडियो क्या हैं? (Commercial Radio in Hindi)
सुचना, समाचार व मनोरंजन के साथ रेडियो ने श्रोताओं के बीच अपनी गहरी पहुँच बना ली हैं। साथ ही उसने समाज व जनमानस में अपनी लोकप्रियता को भी पहला पहलू दिया हैं। रेडियो ने अपनी सेवओं का लाभ सम्प्रेषित करने के उद्देश्य से व्यावसायिक रूप लिया और रेडियो की ‘विज्ञापन प्रसारण सेवा’ कॉमर्शियल रेडियो के रूप में पनपी। इस सेवा में छोटे-बड़े उधमियों, स्वरोजगाररत लोगों व उत्पादों को स्थान मिला साथ ही कम शुल्क में अधिक लोगों तक पहुच का जरिया भी मिला। यही कारण है की रेडियो प्रचार-प्रसार का जरिया भी बडा रूप में हैं। वर्तमान रेडियो जिंगल भी इसका यही स्वरूप दर्शाता हैं।
“शुभ वाणी
लाभ वाणी
आकाशवाणी ”
आकाशवाणी की विज्ञापन प्रसारण सेवा 1 नवम्बर, 1967 को शुरू हुई थी। अब तो 126 प्राइमरी चैनल केंद्र, 39 विविध भारती केंद्र, 76 स्थानीय रेडियो केन्द्रों और चार एफ. एम. मेट्रो चैनलों से विज्ञापन प्रसारित होते हैं। रस्त्रिये चैनल, नई दिल्ली के विदेश सेवा-प्रभाग सेवा पर भी विज्ञापन दिए जाते हैं। रेडियो ने अपने श्रोताओं के लिए कुछ नई सेवाएं शुरू की गई हैं।
नई सेवाएं
बधाई संदेश
रेडियो ने अपने श्रोताओं के लिए बधाई संदेश पहुचने के लिए नई सेवा की शुरू की हैं।
इससे लोग अपने प्रियेजानो को रेडियो के द्वारा बधाई दे सकते हैं।
उदाहरण – नौकरी, जन्मदिन, शादी आदि का बधाई संदेश।
वर्गीकृत विज्ञापन
वर्गीकृत विज्ञापन अभी तक प्रिंट मिडिया में ही देखे जाते थे। अब रेडियो ने भी शुरू कर दिया हैं।
उदाहरण – खरीदना-बेचना, शादी-व्याह व्यापार, आदि।
लाइव स्पॉट
भारत में ऐसे कई जगह हैं जहा पर आज भी बिजली नहीं होने से वह का नागरिक को दुनिया का पता नही हो पता हैं।
इसके लिए रेडियो ने लाइव स्पॉट न्यूज़ प्रसारित करना शुरू किया। लाइव क्रिकेट न्यूज़ बता हैं।
आकाशवाणी स्टूडियों को किराये पर देना
आकाशवाणी ने लघु और स्थानीय विज्ञापनदाताओं की मदद करने के लिए उन्हें किराये पर अपने स्टूडियों देने लगा।
इससे ग्राहकों को सुविधा मिली हैं। वही आकाशवाणी के राजस्व में भी वृद्धि पाई हैं।
सीधी बुकिंग
राजस्व में वृद्धि हुई तो आकाशवाणी (रेडियो) ने इन-हॉउस मार्केटिंग के साथ विज्ञापन व प्रायोजित कार्यक्रमों की बुकिंग शुरू की हैं।
शैक्षिक रेडियो क्या हैं? (Educational Radio in Hindi)
रेडियो के द्वारा शैक्षिक प्रसारण का एक लम्बा इतिहास रहा है। अपने अतीत से वर्तमान तक की यात्रा में शैक्षिक प्रसारण ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे है।अपने प्रारम्भिक दौर से ही रेडियो मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा से भी जुड़ा रहा। पहली बार शैक्षिक पाठकों का प्रसारण ब्रिटेन में 1924 में आरम्भ हुआ।
जापान में 1931 में, आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में 1932 में स्कूली शिक्षा के कार्यक्रम प्रसारित किए जाने लगे। भारत में स्कूली शिक्षा का प्रसारण 1938 में शुरू हुआ। स्कूली शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा के कार्यक्रमों के लिए एक मंडल बनया गया। इसमें शिक्षाशास्त्री, अध्यापक, अधिकारी, सम्मिलित किए गए।
रेडियो शिक्षा के निम्नलिखित आयाम इस प्रकार है।
- स्कुली शिक्षा (School Education in Hindi)– आकाशवाणी ने प्रसारित कार्यक्रमों में से कुछ प्रतिशत स्कुल शिक्षा को समर्पित किया। 1937 में पहला स्कूली शिक्षा कार्यक्रम कोलकत्ता से शुरू किया गया। दिसम्बर 1938 तक कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई से स्कूली शिक्षा कार्यक्रम प्रसारित होने लगे थे।शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न वार्ताएं, रूपक, कथाएं जीवनियां आदि भी प्रसारित होते थे।
- उच्च शिक्षा (Higher Education in Hindi)– आकाशवाणी दिल्ली केंद्र ने 1966 से दिल्ली विस्वविध्यालय के पत्राचार पाठ्यक्रम छात्रो के लिए “यूनिवर्सिटी ऑफ द एयर” प्रसारण प्रारम्भ किया। इस कार्यकम में कला व वाणिज्य विषयों के निर्धारित पाठों का हिंदी व अंग्रेजी में प्रसारण होता था।
- कृषि व गृह कार्यक्रम (Agriculture $ Home Programme in Hindi)– आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों पर कृषि व गृह से सम्बन्धित कार्यक्रम प्रसारित होता है। हर केंद्र पर 60-100 मिनट तक कृषि व गृह मसलों से जुड़े कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। इन कर्यक्रमो में अनाजों, तिलहनों, दालों, सब्जियों, फलों आदी की पैदावार बढ़ाने से सम्बन्धित कार्यक्रम प्रसारित होता हैं। गृह कार्यक्रमों में प्रौढ़ शिक्षा, ग्रामीण विकास में पंचायत की भूमिका आदि विषयों पर विशेष जोर दिया जाता हैं।
- स्वास्थ्य व परिवार कल्याण (Health $ Family welfare in Hindi)– परिवार कल्याण के अंतर्गत एड्स, डेंगू, यौन रोगों, पानी व संक्रमण से फैलने वाले रोगों, मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम, बाल सुरक्षा व सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम, नसबंदी आदि के बारे में महत्वपूर्ण कार्यक्रमों प्रसारण जाता है। इन कार्यक्रमों से एक ओर जहां जागरण व जनचेतना बढ़ती है वहीँ रेडियो की शैक्षिक क्षेत्र की प्रभाविता का आभास भी होता है। जनमानस को जगाने व शिखा का उजाला घर-घर पहुंचाने का कार्य शैक्षिक रेडियो के माध्यम से बखूबी संचालित किया जा रहा हैं।
इन्हें भी देखें –
- जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन क्या है? (What is Mass Communication in Hindi)
- संचार क्या हैं? (What is Communication in Hindi) – जाने हिंदी में
- जनसंचार का परिभाषा (Definition of Mass Communication in Hindi)
- जवाहर लाल नेहरू की जीवनी इन हिंदी (Jawaharlal Nehru Biography in Hindi)
- स्वामी विवेकानंद की जीवनी इन हिंदी (Swami Vivekananda biography in Hindi)
निष्कर्ष (Conclusion)
रेडियो पत्रकारिता एक विशेष प्रकार की कला हैं। रेडियो का माध्यम समाचार पत्र से भिन्न होता हैं। रेडियो का हमारे समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका हैं। रेडियो को सुनने के लिए अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित व्यक्तियों में कोई अंतर नहीं है। नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए तो रेडियो एक वरदान की तरह हैं। वर्तमान समय में भारत के 90 प्रतिशत आबादी तक रेडियो कार्यक्रमों की पहुंच है।
Maine pura pdha
Jankari pakr bahut khusi hue
Thanks all team
Mujse Esme bahut Kuch Naya sikhne ko Mila but Esme radio ki image nhi thi to muje eske Kami lagi