विषय-सूची
- जनसंपर्क क्या है? (What is Public Relations in Hindi)
- जनसंपर्क की परिभाषा (Definition of Public Relations in Hindi)
- सैमे ब्लैक के अनुसार
- बेब्रनर के अनुसार
- डेनी ग्रिल्ड के अनुसार
- ग्रेट ब्रिटेन जनसंपर्क संस्थान के अनुसार
- आर्थर रॉलमैन के अनुसार
- जनसंपर्क के प्रकार (Types of Public Relations in Hindi)
- जनसंपर्क का संगठनामक स्तर
- जनसंपर्क का व्यवसायिक स्तर
- आंतरिक जनसंपर्क (Internal Public Relations in Hindi)
- बाह्य जनसंपर्क (External Public Relations in Hindi)
- जनसंपर्क के तत्व (Elements of Public Relations in Hindi)
- 1. जनता
- 2. जनसंपर्क की “अंतर्वस्तु” या “सामग्री”
- 3. सम्प्रेषण माध्यम
- जनसंपर्क के उद्देश्य (Purpose of Public Relations in Hindi)
- 1. अंतर्संबंधों का विकास
- 2. बीहर्संबंधों की वृद्धि
- 3. नियोक्ता छवि निर्माण
- 4. जनसंपर्क प्रबंधन-कार्मिक संबंधों का सेतु
- जनसंपर्क के कार्य क्षेत्र (Public Relations Work in Hindi)
- जनमत निर्माण क्षेत्र
- पारस्परिक संबंधों का संवर्धन क्षेत्र
- जनसंपर्क के अन्य माध्यम या मीडिया (Public Relations $ Media in Hindi)
- सूचना एवं जनसंपर्क (Information and Public Relation)
- प्रचार-प्रसार एवं जनसंपर्क (Publicity and Public Relations)
- विज्ञापन एवं जनसंपर्क (Advertising and Public Relations)
- प्रकाशन एवं जनसंपर्क (Publications and Public Relations)
- प्रेस एवं जनसंपर्क (Press and Public Relations)
- इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और जनसंपर्क (Electronic Media and Public Relations)
- प्रचार एवं जनसंपर्क (Publicity and Public Relations)
- जनसंपर्क कला या विज्ञान है? (Public Relations Arts or Science in Hindi)
- जनसंपर्क सेवा या व्यवसाय (Public Service or Business in Hindi)
- जनसंपर्क की प्रक्रिया (Process of Public Relations in Hindi)
- जनसंपर्क के विविध तंत्र (Various Mechanisms of Public Relations)
- जनसंपर्क द्विपक्षीय संचार (Public Relations Bilateral Communications)
- पारस्परिक जनसंपर्क प्रक्रिया (Reciprocal Public Relations process in Hindi)
- जनसम्पर्क के सिद्धांत (Principles of Public Relations in Hindi)
- जनसम्पर्क कर्मी के गुण (Qualities of Public Relations in Hindi)
- जनसंपर्क के महत्व (Importance of Public Relations in Hindi)
- सुगम सम्प्रेषण (Easy Communication)
- दायित्व का अभिज्ञान (Obligation of Liability)
- माध्यम चयन (Medium Selection)
- शिक्षण व्यवस्था (Education System)
- उपभोक्ता सेवाएं (Consumer Services)
- आचार संहिता के मानक (Code of Ethics)
- निष्कर्ष (Conclusion)
जनसंपर्क क्या है? (What is Public Relations in Hindi)
जनसंपर्क क्या है? जनसंपर्क एक गत्यात्मक प्रक्रिया है। जो परिस्थिति के अनुरूप सदैव बदलती रहती है। परिस्थिति के अनुसार उसकी प्राथमिकता, उसका स्वरूप, उसके साधन, उसके माध्यम बदल जाते है। तो यह सवाल आपके मन में बार-बार उठता होगा की
“जनसंपर्क क्या हैं? (What is Public Relations in Hindi)“, “जनसंपर्क की परिभाषा (Definition of Public Relations in Hindi)“, “जनसंपर्क के प्रकार (Types of Public Relations in Hindi)“, “जनसंपर्क के तत्व (Elements of Public Relations in Hindi)“, “जनसंपर्क के उद्देश्य (Purpose of Public Relations in Hindi)” तो आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं।
जनसंपर्क एक ऐसी तकनीक है। जिसने मानव जीवन की शुरुआत से ही मनुष्यों के बीच संचार की सुविधा प्रदान की है। चाहे पाषाण युग हो या बाद का, एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति या कबीले से बात करके कुछ समझौतों और निर्णय लेते है। तो यहा जनसंपर्क की भूमिका देखा जा सकता है। इसी तरह, सामाजिक उन्नति और विकास में जनसंपर्क की भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। जनसंपर्क का इतिहास मानव सभ्यता से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं में, नारद मुनि की भूमिका ही एक चतूर जनसंपर्क कर्मी की रही है। यह उसका विश्लेषण करता है।
जनसंपर्क विचारों के सम्प्रेषण का वह शिल्प है। जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार की जनता के साथ सम्पर्क कर के सोचा-समझा परिणाम की प्राप्ति की जा सकती हैं। इसे प्रबंधन का कर्तव्य भी कहा जाता हैं। जो जनता की रुचियों और अभिमत का ध्यान जनसंपर्क आपसी विचार मंच तैयार करके संगठन के प्रति “एक धारणा” का निर्माण करता है।
अपने संगठन के अन्य अधिकारियों को जनता में अपने संगठन की एक छवि स्थापित करने की सलाह भी देता है। जनसंपर्क का अर्थ (Meaning of Public Relation in Hindi) जनसंपर्क का अर्थ ‘जनता‘ से संपर्क है। जनसंपर्क दो शब्दों से बना है।”जन” और “संपर्क“। इसका समान्य अर्थ ‘जनता‘ है, जो व्यक्ति के आस-पास तक व्यापक रूप में फैला रहता है और उनसे संपर्क बनाए रखने की इच्छा ही जनसंपर्क है।
जनसंपर्क अंग्रेजी के “पब्लिक रिलेशन” का पर्याय शब्द है। पब्लिक रिलेशन के पहला अक्षर पी० (P) और दूसरा अक्षर आर० (R) का अर्थ हैं। पी० (P) से “परफॉर्मेंस‘ (Performance) और आर० (R) से “रिकग्निशन” (Recognition) अर्थात जनसंपर्क ऐसा कार्य है। जिसके द्वारा अच्छे कार्य की स्वीकृति होती हैं।
जनसंपर्क की परिभाषा (Definition of Public Relations in Hindi)
सैमे ब्लैक के अनुसार
जनसंपर्क विभिन्न सामाजिक विज्ञानों का सम्मिश्रण है, जो हमें व्यक्ति और समूह की प्रतिक्रिया से अवगत कराता है। यह सम्प्रेषण का वह विज्ञान है जो तनाव को दूर करके बेहतर सम्बन्धों को बनाते हुए सहमती का निर्माण करता है।
बेब्रनर के अनुसार
आधुनिक प्रशासन में जनसंपर्क तथा प्रसार-प्रचार का सीधा अर्थ है। की उद्योग में मानवीय दृष्टि कोण का अध्ययन तथा शासन में इसका विस्तार जनसंपर्क के आवश्यक तत्व है।
<क> जनता की इच्छाओं व भावनाओं का ज्ञान।
<ख> अधिकारियों व जनता के बीच संतोषजनक सोच-विचार तथा समन्वय।
डेनी ग्रिल्ड के अनुसार
जनसंपर्क एक ऐसा प्रबंधन कार्य है। जो किसी व्यक्ति या संस्थान की प्रवृतियों का मूल्यांकन करता हैं। उसकी नीतियों, प्रक्रियाओं को समझता है और जनता की सहमति व उसके समर्थन के लिए आवश्यक कार्यक्रमों की योजना बनाता है।
ग्रेट ब्रिटेन जनसंपर्क संस्थान के अनुसार
जनसंपर्क का कार्य विवेकपूर्वक, योजनाबद्ध तथा सतत प्रयास द्वारा संगठन और उसकी जनता के बीच परस्पर सहमती बनाये रखना है।
आर्थर रॉलमैन के अनुसार
वास्तविक रूप में जनसंपर्क दो पक्षों का सम्प्रेषण है। जिसमे सहमती का आधार सम्पूर्ण सत्य का ज्ञान तथा पूर्ण सूचनाएं होती है।
जनसंपर्क के प्रकार (Types of Public Relations in Hindi)
जनसंपर्क को दो भागों में बाटा गया है।
जनसंपर्क का संगठनामक स्तर
जनसंपर्क संगठनामक स्तर पर दो भागों में बाटा जा सकता है-
(क) राजकीय अभिकरण (i) केन्द्रीय (ii) प्रांतीय।
(ख) गरै राजकीय अभिकरण– (क) निजी औधोगिक प्रतिष्ठान, (ख) स्वायत्त संस्थान, (ग) वैयक्तिक संस्थान।
जनसंपर्क का व्यवसायिक स्तर
व्यवसायिक स्तर पर जनसंपर्क को निम्नलिखित तरीके से देखा जा सकता है।
आंतरिक जनसंपर्क (Internal Public Relations in Hindi)
अंत: जनसंपर्ककर्ता सार्वजनिक कार्यों की सफलता के लिए सर्वेक्षण, अध्ययन और विश्लेषण की निष्पक्ष और अच्छे नेतृत्व में निहित है,
जो संगठन के दृष्टिकोण और ग्राहकों के प्रति अपनाया गया रवैया है।
बाह्य जनसंपर्क (External Public Relations in Hindi)
बाहरी रूप से, जनसंपर्क का उपयोग विभिन्न प्रकारों और विभिन्न स्तर की बैठकों और सम्मेलनों की व्यवस्था में किया जा सकता है।
ताकि सभी प्रकार के लोगों की गतिविधियों और विचारों का अध्ययन किया जा सके।
आपके सभी जनसंपर्क सर्वेक्षणों की सफलता के साथ आपके व्यवहार पर निर्भर करता है कि ग्राहक और उपभोक्ता कितने संतुष्ट हैं।
जनसंपर्क सक्रिय रूप से अपने पेशेवर स्तर पर प्रतिष्ठित होने के लिए निम्नलिखित रूप में विभिन्न तत्वों पर आधारित है।
जनसंपर्क के तत्व (Elements of Public Relations in Hindi)
अमेरिकन जनसंपर्क विशेषज्ञ हैराल्ड डी. रॉसवेल ने जनसंपर्क की ववचेना करते हुए कुछ बिन्दुओं पर विशेष जोर दिया हैं।
रॉसवेल के आधार पर जनसंपर्क के निम्नलिखित तत्व है।
1. जनता
जनसंपर्क का हर काम जनता के लिए ही होता है।
इस तत्व का मतलब यह नहीं है कि समुदाय संपर्क से स्थापित करने में सक्षम नहीं है।
बल्कि यह जनता से है। इस दृष्टि से, दर्शकों, श्रोताओं, पाठकों को जनता के तत्व के रूप में देखा जाता है।
जनसंपर्क का काम शुरू होने से पहले यह अनिवार्य है की –
(क) अपनी जानता की भली प्रकार पहचान करे–
- उसका बौधिक स्तर कैसा है?
- वह शिक्षित है या केवल साक्षर?
- उसकी आर्थिक स्थिति कैसी है?
- उसका जनसंपर्क माध्यम क्या है?
(ख) जनता की रुचि की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
(ग) जनता की व्यवहार की जानकारी होनी चाहिए।
2. जनसंपर्क की “अंतर्वस्तु” या “सामग्री”
अंतर्वस्तु या सामग्री जैसे तत्वों के निम्नलिखित तत्वों के अंतर्गत सम्मिलित की जा सकती है।
- संस्था की नीतियाँ एवं विचारधारा।
- संस्थागत आदेश, परिपत्र आदि।
- सभी सामग्री का समय रहते एकत्रीकरण।
- संदेश या समाचार की पूरी तैयारी।
- संदेश या विचार का सुस्पष्ट शब्दों एवं सरल भाषा में लिखना।
- सामग्री या विचार करते समय माध्यम या मीडिया का ध्यान।
3. सम्प्रेषण माध्यम
जनता को किस माध्यम से संदेश दिया जाए, इसका माध्यम जनसंपर्क अनिवार्य तत्व है। जनता को उपलब्ध सर्वसुलभ माध्यम ही सर्वथा उपयुक्त माना जाता है। संचार माध्यम के तीन माध्यम सर्वोतम है।
- मुद्रित माध्यम- समाचार-पत्र, पत्रिकाएं आदि।
- इलेक्ट्रोनिक माध्यम- रेडियो, टेलीविजन, फिल्म, वीडियो तथा ओडियो।
- परम्परागत माध्यम- लोकगीत, लोकनृत्य, लोक कथा आदि।
जनसंपर्क के उद्देश्य (Purpose of Public Relations in Hindi)
जनसंपर्क का उद्देश्य जनमत निर्माण एवं निर्धारण है। ये दोनों एक दुसरे की सहयोगी है। इसे चित्र के जरिये समझाया गया है।
1. अंतर्संबंधों का विकास
- जनसंपर्क एक ऐसी तकनीक है।
- यह आपसी रिश्तों में सहजता, सरलता और मानवीय सहानुभूति फैलाती है।
- यह एक इकाई में काम करने वाले व्यक्ति की दूसरी इकाई में सहजता, सरलता और अनौपचारिकता फैलाकर काम करती है।
- क्षेत्र चाहे सुचना का हो या प्रकाशन का जनसंपर्क हमेशा आपसी संबंधों के विस्तार के कारण सफल होता है।
- क्योंकि जनसंपर्क की कार्य सीमा न केवल कार्यालय में बिताए समय के लिए है और न ही जनसंपर्क कार्यकर्ता कभी मुक्त है।
- इसलिए, जहां भी रिश्ते एक बार बनते हैं। वे न केवल अच्छी तरह से काम करते हैं। बल्कि परस्पर संबंध भी निभाते हैं।
2. बीहर्संबंधों की वृद्धि
- संस्थान से अवगत होने के नाते जब जनसंपर्क विभिन्न विभागों, संस्थानों, और निकायों के संबंध में विस्तार करता है।
- इसका अपना मुखमंडल स्वयं के सामने दिखाई देगा, साथ ही औपचारिक संबंधों के अलावा, विभिन्न आयोजनों में अन्य सहयोगियों की भागीदारी भी होगी।
- अधिक जनसंपर्ककर्मी असहयोगी हो जाता है। उसके संबंधों में समान वृद्धि होती है और उसका व्यक्तित्व विकसित होता है।
- एक तरफ, सत्ता या प्रशासन के साथ लगातार संबंध होता है।
- दूसरी ओर, नियोक्ता के संदेश या विचार को उनके पास पहुंचाता है और उन्हें खुद के लिए भी आश्वस्त करता है।
3. नियोक्ता छवि निर्माण
- जनसंपर्क का उद्देश्य न केवल नियोक्ता के संस्थान और संस्थान के बीच व्यावहारिक या व्यावसायिक संबंधों को बढ़ावा देना है।
- बल्कि यह ऐसे वातावरण को तैयार करने में बहुत सफल है जो अपने नियोक्ता संस्थान की छवि में मदद करता है।
- वास्तव में, जनसंपर्ककर्मी के कार्यकर्ता अपने संस्थान की नीति-रीति संबंध में संस्थान की एक छवि निर्माण की है।
- गहरी विश्वसनीयता के आधार पर ही स्थान का छवि निर्माण भी बनता जाता है।
- क्योंकि, अन्य संस्थान के माध्यम से विशेषज्ञ, संस्थानों और कार्यों, गुण-धर्म, संदेश या अन्य संगठनों के साथ अपेक्षित संदेशों की गुणवत्ता का पता लगाता है।
4. जनसंपर्क प्रबंधन-कार्मिक संबंधों का सेतु
जनसंपर्क का उद्देश्य संगठन की एक छवि को बाहरी रूप से बनाना है न कि संस्था के लिए इसकी स्वीकृति प्राप्त करना। संस्थान के प्रति जनसंपर्क का विशेष दायित्व घोषित नहीं हो कर भी एक विशेष जिम्मेदारी के रूप में होता है। इसलिए उस दायित्व की पुष्टि में, प्रबंधन और कर्मियों के माध्यम से वह सेतु का काम करता है।
इसके आलावा जनसंपर्क के समग्र रूप में देखा जाए तो जनसंपर्क के तीन मूल उद्देश्य हैं।
- सूचना (Information)
- शिक्षा (Education)
- मनोरंजन (Entertainment)
जनसंपर्क के कार्य क्षेत्र (Public Relations Work in Hindi)
जनसंपर्क का वास्तविक कार्य क्षेत्र जनता के लिए है, जो इसकी संस्थागत वास्तविकता का परिचय देता है। वर्तमान युग में, औद्योगिक विकास, लोकतंत्रात्मक शासन और चुनाव प्रबंधन के साथ-साथ उत्पाद की बिक्री और उपभोक्ता खोज आदि के रूप में जनसंपर्क का क्षेत्र वर्गीकृत है। जनसंपर्क पब्लिक रिलेशन का हिंदी पर्याय है। इसका संक्षिप्त रूप इस प्रकार है।
इसका अर्थ है कि जनसंपर्क वह कार्य है जो लोगों के बीच यश बढ़ाए। इसका कार्य क्षेत्र को दो भागों में इस प्रकार बाटा गया है।
जनमत निर्माण क्षेत्र
- किसी संस्था या उद्योग या निकाय के वैधानिक सिद्धांतों के गुणों का विश्लेषण करके, जनता या उपभोक्ता के बीच विश्वसनीयता पैदा करके।
- उसके संस्थानों, उद्योग, निकाय आदि को सार्वजनिक राय बनाकर जनता की राय बनाई जा सकती है।
- जनसंपर्क साधनों के लिए उपलब्ध एक विस्तृत क्षेत्र है।
पारस्परिक संबंधों का संवर्धन क्षेत्र
- किसी भी संस्था, उद्योग और निकाय के लिए काम करते समय, पारस्परिक संबंधों के बीच कोई संबंध नहीं होता है।
- लेकिन जनता या उपभोक्ता के लिए उनकी रचनात्मक महत्वाकांक्षा के रूप में विशेष संबंध और संपर्क बनाए जाते हैं।
- उनकी छवि निर्माण से पहले जनता की अपेक्षाओं के अनुसार काम करते हैं।
- अपना सम्पर्क साधना ही कार्य क्षेत्र का विस्तार है।
- इसलिए जनता, समुदाय, उपभोक्ता वर्ग के बीच संबंधों को बढ़ावा देना जनसंपर्क का काम है।
जनसंपर्क के अन्य माध्यम या मीडिया (Public Relations $ Media in Hindi)
सूचना एवं जनसंपर्क (Information and Public Relation)
तथ्यों की जानकारी को जनता तक पहुंचाना सूचना की श्रेणी में आता है। लेकिन उस जानकारी को जनता या उपभोक्ता में प्रसारित करना, यह जनसंपर्क की अवधारणा का विस्तार करता है।
प्रचार-प्रसार एवं जनसंपर्क (Publicity and Public Relations)
- किसी भी सूचना को जनता के बीच विस्तारित करना ही प्रचार या प्रसार कहलाता है।
- किसी भी हद तक जनता के बीच स्वीकार्य होने की सीमा पर जोर देने के लिए, इसका उद्देश्य अपनी बात या विचार पर जोर देना है।
- वास्तव में जनता को प्रभावित करना ही प्रोपेगेंडा या प्रचार-प्रसार का उद्देश्य है।
विज्ञापन एवं जनसंपर्क (Advertising and Public Relations)
- विज्ञापन और जनसंपर्क के बीच एक संबंध है। विज्ञापन सार्वजनिक संचार के लिए एक उपकरण है, और यह प्रचार विस्तार विज्ञापन की मदद से प्रगति कर रहा है।
- इस दृष्टि से यह कहा जा सकता है कि विज्ञापन और जनसंपर्क दोनों ही जनसंचार का एक सशक्त माध्यम हैं।
- लेकिन इस अंतर को ध्यान में रखाना चाहिए कि विज्ञापन की सामग्री और इसे प्रसारित करना दोनों स्तरों पर भुगतान किया जाता है।
- जनसंपर्क का कार्य विज्ञापन हो सकता है।
प्रकाशन एवं जनसंपर्क (Publications and Public Relations)
- जनसंपर्क की बहुख्यात माध्यम प्रकाशन है, जो प्रचार का एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
- पीआर अपनी संस्थापन या संस्था की नीतियों, गतिविधियों और भविष्य की योजनाओं को प्रसारित करने के लिए प्रकाशन के आधार पर निर्भर करता है।
- इसके लिए वह संस्थागत नीतियों, विचारों, निर्देशों एवं निर्णयों से सम्बन्धित पोस्टर, ब्राउचर्स, पुस्तिकाएं, विशिष्ठ पत्र-पत्रिकाएं, छायाचित्र, ग्राफिक्स तथा वार्षिक प्रतिवेदन आदि का प्रकाशन कराता है।
- जनसंपर्क का प्रतिपूरक प्रकाशन है। इसके बिना लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल है।
प्रेस एवं जनसंपर्क (Press and Public Relations)
- प्रेस और जनसंपर्क एक दूसरे से अलग होते हैं।
- लेकिन सहयोगी भी होता है तथा दोनों के बीच का संबंध पारस्परिक रूप से महत्वपूर्ण होता है।
- प्रेस का सीधा सम्बन्ध समाचार पत्र से है।
- जनमत निर्धारण की अवधि में, जनसंपर्क अपनी सशक्त प्रतिष्ठान तथा उत्पादन संस्थान में अपनी मजबूत भूमिका निभाई।
- अखबार की विशिष्ट विश्वसनीयता ही उसे प्रेस और जनता के लिए महत्वपूर्ण बनाती है।
- प्रेस एवं जनसंपर्क के बीच एक अटूट और विश्वसनीय रिश्ता है और उसकी दोनों पक्ष पालन करते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और जनसंपर्क (Electronic Media and Public Relations)
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जनसंपर्क से गहरा संबंध है, जहाँ तक रेडियो और टेलीविजन का लक्ष्य सूचना, जनशिक्षण तथा मनोरंजन है। जनसंपर्क इस तरह से अपना संदेश तैयार करता है। ताकि उस माध्यम से यह प्रभावी उपयोग साबित हो सके। रेडियो एक श्रव्य माध्यम है, जबकि टेलीविजन श्रव्य और दृश्य दोनों माध्यम है।
प्रचार एवं जनसंपर्क (Publicity and Public Relations)
प्रचार और जनसंपर्क के बीच एक अंतर है, फिर भी दोनों के बीच एक अंतर्निहित संबंध है, जहां प्रचार और संप्रचार के बीच एक अंतर है। उसी प्रकार जनसंपर्क और प्रचार में भिन्न होते हैं। जिस तरह जनसंपर्क सत्य पर आधारित है। वास्तविकता, प्रचार भी किसी भी क्षेत्र में जनता की राय बनाने के लिए है। जनसंपर्क उससे अलग है। क्योंकि वह भावनाओं की नहीं वास्तविकताओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रचार किसी ‘क्यों’ का उत्तर तो दे सकता है। पर शंका का प्रभाव और अपने दिए गए उत्तर का प्रभाव और प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा नहीं करता जबकि जनसंपर्क क्यों के उत्तर के साथ ही सभी प्रकार की शंकाओं का समाधान करता है तथा उत्पन्न जन प्रभाव और प्रतिक्रिया भी अपने नियोक्ता संस्थान या सत्ता तक पहुचता है।
जनसंपर्क कला या विज्ञान है? (Public Relations Arts or Science in Hindi)
जनसंपर्क संचार माध्यम है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जनसंपर्क एक विज्ञान है। जबकि कुछ विशेषज्ञ उसे एक कला मानते हैं। इसलिए इसके बारे में विशेषज्ञों का दो अलग-अलग राय हैं। विज्ञान में विश्वास करने वाले विशेषज्ञ की मान्यता यह है की जिस प्रकार गणित में दो और दो योग चार होती है तथा जिस प्रकार भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र एवं गणित होता है ठीक उसी प्रकार एक निश्चित प्रकार की जानकारी देने वाला जनसंपर्क भी विज्ञान है।
लेकिन विशेषज्ञों के दूसरे वर्ग का मानना है कि जनसंपर्क एक कला है। इसलिए इसे विज्ञान नहीं माना जा सकता है। यह भी स्पष्ट है कि जनसंपर्क एक मूर्त उपकरण का साधन है। जिसका उपयोग समाचार पत्रों के रूप में प्रचार साहित्य के लिए किया जा सकता है। रेडियो, टेलीविजन आदि एक विषय के रूप में, विषय-वस्तु के संबंध में, समुदाय के अमूर्त भावनाओं को एक अच्छी तरह से सिद्ध और तथ्यात्मक ज्ञान के अनुकूल बनाने का काम करते हैं। इस लिए जनसंपर्क एक कला है।
जनसंपर्क सेवा या व्यवसाय (Public Service or Business in Hindi)
- जनसंपर्क का दूसरा महत्वपूर्ण प्रश्न सेवा या व्यवसाय को स्वीकार करना है?
- भारत में, पत्रकारिता का प्रारंभिक रूप एक शुद्ध सेवा थी।
- जिसका उद्देश्य भारतीय जनता को सूचना और शिक्षा प्रदान करना था।
- लेकिन तत्कालीन सरकार ने एक भय पैदा किया था।
- इसलिए सार्वजनिक सेवा या मिशन की भावना पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
- तात्कालिक पत्रकारों ने प्रतियोगी स्तर पर पत्रकारिता सेवा जारी रखने की स्वतंत्रता को मजबूर किया।
- इसलिए, युगल किशोर शुक्ल से लेकर लोक मन्यतिल्क, महात्मा गाँधी, लाला लाजपतराय, माखन लाल चतुर्वेदी आदि की पत्रकारिता को वर्तमान समय में जनसेवा के रूप में स्वीकार किया गया।
- इसी तरह से, जनसंपर्क ने समाज और व्यक्ति के बीच सार्वजनिक सेवा या मिशन के रूप में जल्द से जल्द लंबे समय तक पुलों का निर्माण जारी रखा है।
- यही नहीं, अपनी प्रारंभिक अवस्था में, जनसंपर्क अपने स्वयं के संस्थान के प्रचार को कम कर, सार्वजनिक कल्याण के स्तर पर जानकारी और शिक्षा देने के लिए काम कर रहा है।
- विज्ञान और भौतिक विचारक युग ने आज जनसंपर्क व्यवसाय को पेशे के रूप में बनाया है।
- आज, पेशेवर स्तर पर डॉक्टर, वकील, पत्रकार और शिक्षक समाज में अच्छी तरह से सम्मानित किए गए हैं।
- जबकि यह सभी कार्य सार्वजनिक सेवा उन्मुख (Oriented) थे। जनसंपर्क एक पूर्ण व्यवसाय बन गया। इसलिए इसे बुरा नहीं कहा जा सकता।
- आज, राज्य विभागों, निकायों और निगमों में, वेतनभोगी जनसंपर्क अधिकारी और विभाग कार्यरत है। इसलिए इसके विकास की गति आज भी तीव्र है।
- इसने मुद्रित माध्यम (समाचारपत्र, पत्रिकाएं) के और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (टेलीविजन, रेडियो) के अलावा विज्ञापन और प्रदर्शन मीडिया में अपनी संभाव्यता साबित की है।
- जब आज जनसंपर्क एक व्यवसाय बन गया है, तो यह सवाल उठाना असंगत होगा कि यह व्यवसाय है या लोकसेवा?
- यह सच है कि जनसंपर्क आज एक लोकसेवा या मिशन नहीं है।
- लोकसेवा कहा जाना आज, इसलिए भी स्वीकार्य नहीं होगा।
- क्योंकि आज के भौतिक युग में भूखे रह कर लोकसेवा कोई नहीं कर सकता है।
जनसंपर्क की प्रक्रिया (Process of Public Relations in Hindi)
जनसंपर्क के विविध तंत्र (Various Mechanisms of Public Relations)
जनसंपर्क की प्रक्रिया में विभिन्न प्रचार और संचार माध्यमों का उपयोग किया जाता है। वह जनमत निर्माण की प्रक्रिया में सहमत हैं। आम तौर पर, जब जनसंपर्क की प्रक्रिया शुरू होती है। तो इसके लिए कभी कोई निश्चित समय नहीं होता है।जो व्यक्ति कार्यरत नहीं है।
वह भी जनसंपर्क प्रक्रिया को अपनाता है। क्योंकि उसके कार्यालय में कई लोग बाहर से आते हैं। उन लोगों को आवश्यकताएं और अपेक्षाएं होती हैं। उन्हें जानकारी की आवश्यकता होती है। इस मामले में, वह व्यक्ति जो कार्यालय की खिड़की पर या पहली मेज पर बैठा है। वही सूचना और समाधान कर रहा होता है। इस लिए इसकी प्रक्रिया को इस चित्र के जरिए समझा जा सकता है।
जनसंपर्क द्विपक्षीय संचार (Public Relations Bilateral Communications)
जनसंपर्क मूल रूप से एक द्विपक्षीय संचार प्रक्रिया है। जिसमें सार्वजनिक दर्शकों, पाठक उपभोक्ता को संस्था के रीति-रिवाजों, विचारों आदि के बारे में व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाकर उनका विश्वास हासिल करना होता है। ऐसी स्थिति में, जनसंपर्क अधिकारी, एक ओर, प्रशासन या संस्था के साथ अपने संबंधों के प्रति ईमानदार और कर्तव्यों को अपनाते हैं। दूसरी ओर, जनता, समूह, श्रोता, दर्शक, पाठक और उपभोक्ता में अपना विश्वास स्थापित कर जनसंपर्क प्रक्रिया निम्नलिखित रूप में पूरी करता है।
पारस्परिक जनसंपर्क प्रक्रिया (Reciprocal Public Relations process in Hindi)
जनसंपर्क की द्विपक्षीय संचार प्रक्रिया को सरल तरीके से तभी शुरू किया जा सकता है। जब दोनों छोरों पर पारस्परिक संचार की प्रक्रिया पहले से ही एक निश्चित स्तर पर हो। पारस्परिकता की प्रक्रिया तभी संभव है। जब जनसंपर्क कर्मी जनता, जनसमूह, दर्शक तथा उपभोक्ता से जुड़ा हुआ हो और विश्वसनीयता दोनों के बीच हो।
पारस्परिकता में यह अनिवार्य नहीं है कि दोनों को परिवार के अनुकूल होना चाहिए। लेकिन औपचारिक भी नहीं होना चाहिए। इसलिए दोनों को समानांतर व्यवहार को अपनाना चाहिए। यह आवश्यक है कि यदि कोई त्रुटियां भ्रमित हों या यदि कोई भ्रम या मतभेद उभरता हुआ प्रतीत होता है। तो जनसंपर्क कर्मी उनसे बातचीत करें और समस्याओं का समाधान करें।
दूसरे शब्दों में, पारस्परिक संपर्क प्रक्रिया पारस्परिक संपर्क की प्रक्रिया से परामर्श या परामर्श करने के लिए है। वह संस्थानों को स्वस्थ परंपराओं के लिए प्रेरित करता है वही जनता, दर्शक और उपभोक्ता को भी अच्छी राय या प्रतिक्रिया दी जाती है।
जनसम्पर्क के सिद्धांत (Principles of Public Relations in Hindi)
जनसंपर्क का सिद्धांत निम्नलिखित रूप में इस प्रकार हैं।
जनसम्पर्क कर्मी के गुण (Qualities of Public Relations in Hindi)
- प्राकृतिक प्रतिभा (Natural talent)
- आत्मविश्वास व आत्माभिव्यक्ति (Self-confidence and self-expression)
- नेतृत्व (Leadership)
- कलात्मक क्षमता (artistic ability)
- बौद्धिकता (Intellectualism)
- विपरीत परिस्थितियों को भांपकर ‘सम्यक’ निर्णय की क्षमता।
- संचार माध्यमों की तकनीक का कुशल जानकर।
- राजनीतिक, प्रशासनिक और संस्थागत संबंधों में पारस्परिकता और ‘सकारात्मक’ प्रेरणा से पोषित।
- तटस्थ व्यक्तित्व।
- व्यावसायिक क्षमता से युक्त, निडर और लोकमत को दृढ़ता से अपने अनुकूल बनाने वाला।
- नकारात्मक परिणामों से सिखने वाला।
जनसंपर्क के महत्व (Importance of Public Relations in Hindi)
जनसंपर्क का महत्त्व निम्नलिखित रूप में इस प्रकार हैं।
सुगम सम्प्रेषण (Easy Communication)
समाज में जनसंपर्क प्रक्रिया संचार की सुविधा प्रदान कर सकती है ताकि आधुनिक युग में प्रत्येक व्यवसाय सार्वजनिक संबंध स्थापित करने के लिए जागरूक हो जाए क्योंकि यह जनता, दर्शकों और उपभोक्ता और जनसंपर्क प्रक्रिया के बीच आसान संचार के अवसर प्रदान करता है।
दायित्व का अभिज्ञान (Obligation of Liability)
उत्पादन वृद्धि में बहुत व्यस्त होने के कारण, संस्थान या उद्योग को जनसंपर्क प्रक्रिया से सहायता की आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें उत्पादन में विराम नहीं होता है, फिर समाज में उत्पाद को पेश करने से, श्रोता और उपभोक्ता के बीच उत्पाद की गुणवत्ता, उत्पाद वास्तुकला या उन तक पहुंचने के उद्देश्यों को केवल जनसंपर्क प्रक्रिया के माध्यम से पूरा किया जाता है।
माध्यम चयन (Medium Selection)
जनसंपर्क प्रक्रिया का महत्व माध्यम चयन में भी कम नहीं है। यह कहा जा सकता है कि निर्माता या उद्यम एक निर्धारित राशी व्यय करने वास्तु या उत्पाद या योजना को जनता, दर्शकों और उपभोक्ता पर एक निश्चित खर्च करने की योजना तक पहुँचता है। तो जनसंपर्क ही वह प्रक्रिया अपनाता हैं। ताकि संचार माध्यम का उपयोग उस निर्धारित राशि के तहत किया जा सके।
शिक्षण व्यवस्था (Education System)
जनसंप्रेषण जनसंपर्क की प्रक्रिया पूरी करने के लिए शिक्षा प्रणाली के महत्व को नहीं भुलाया जा सकता है। क्योंकि उसके बिना जनता, दर्शकों और उपभोक्ता को संस्थान के विचारों, उत्पादों आदि के विषय में जागरूक नहीं कराया जा सकता है। जनसंपर्क प्रक्रिया के तहत ही जनता या उपभोक्ता को उत्पाद या वास्तु की गुणवत्ता या उपयोगिता के बारे में पूरी तरह से शिक्षित किया जाता हैं।
उपभोक्ता सेवाएं (Consumer Services)
एक समय था जब उपभोक्ता उत्पाद के महत्व को नहीं समझता था। लेकिन आज उपभोक्ता की भूमिका किसी भी उत्पादक या व्यवसायी को पहचानती है। यह भी निश्चित रूप से जानता है कि जनता और दर्शकों को जनसंपर्क प्रक्रिया का आश्रय तक नहीं पंहुचा जा सकता हैं। हर उत्पाद या व्यवसायी की प्रधान कामना यही होता है। बाजार में उत्पादों के बीच व्यापकता का संदेश देने की प्रक्रिया, उसके उत्पाद की गुणवत्ता, नई संपत्तियों के प्रसारण और इसके मूल्य को उपभोक्ता सेवा के तहत पहुंचाया जा सकता है।
आचार संहिता के मानक (Code of Ethics)
जनसंपर्क प्रक्रिया को अपनाने के बाद, प्रासंगिक आचार संहिता के मानक को ध्यान में रखा जाना चाहिए। जनसंपर्क प्रक्रिया को अपनाने के बाद, प्रासंगिक आचार संहिता के मानक को ध्यान में रखा जाना चाहिए। आचार संहिता का मानक पहले से निर्धारित है और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार इसका नाम दिया जा सकता है। इसलिए, जनसंपर्क प्रक्रिया जनता या उपभोक्ता के साथ संबंध बनाए रखने का साहस रखती है।
इन्हें भी देखे –
- संचार क्या है? (What is Communication in Hindi) – जाने हिंदी में।
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निष्कर्ष (Conclusion)
मुझे उम्मीद है कि “जनसंपर्क क्या है? (What is Public Relations in Hindi)” और इससे संबंधित प्रश्नों का उत्तर अवश्य मिल गया होगा। आज के समय में, जनसंपर्क को एक स्मार्ट पेशा माना जाता है। अगर इस क्षेत्र को ग्लैमर से भरा हुआ कहा जाए तो यह कहना गलत नही होगा। सरकारी और निजी विभगों और बहुराष्ट्रीय संस्थानों में जनसंपर्क विशेषज्ञ नियुक्त किए जाते हैं। उनका मुख्य काम सरकार या उसकी संस्था की छवि को अच्छा बनाये रखना है।
Its good to see a young author Karuna Tiwary writing a such a lovely article and use of ppt in hindi articles which are very rare. Good keep it up. Hope to see more articles posted by Karuna.
All the best
Bahut achha like hai public relation k bare me
धन्यवाद, Rajnath
Nice Article