विषय-सूची
- Graphic Design क्या है? (What is Graphic Design in Hindi)
- ग्राफिक डिजाइन का अर्थ और परिभाषा (Graphic Design Meaning & Definition in Hindi)
- चित्रकला के चार तत्व होते हैं।
- ग्राफिक डिजाइन का इतिहास (History of Graphic Design in Hindi)
- डिजाइन एवं ग्राफिक के मूल सिद्धांत (Basic Principles of Design and Graphic)
- संतुलन (Balance)
- फोकस (Focus)
- विरोधाभास (Contradiction)
- संगति (Consistency)
- गति (Speed)
- ग्राफिक डिजाइन के तत्व (Basic Elements of Graphic Design in Hindi)
- बुनियादी तत्व (Basic Elements)
- बिंदु (Point)
- रेखा (Line)
- तल (Floor)
- अन्तराल (Lnterval)
- आकृति (Shape)
- रूप (Form)
- रंग (Colour)
- धूसर पैमाना (Grayscale)
- रंगत (Color)
- मान (Values)
- चमक/दीप्ति Brightness / Brilliance
- बुनावट या पोत (Texture or Vessel)
- सम्बन्धात्मक तत्व (Relational Principle)
- संरेखण (Alignment)
- दिशा-आकर्षण (Directional Attraction)
- आकृत और भूमि
- दृश्य गुरूत्व
- अभिप्रयमुलक तत्व (Motivational Element)
- सौन्दर्य (Beauty)
- विषय वस्तु (Subject Object)
- कार्य (Work)
- ग्राफिक डिजाइनिंग में पेज लेआउट के प्रकार (Types of Page Layouts in Graphic Designing in Hindi)
- निष्कर्ष (Conclusion)
Graphic Design क्या है? (What is Graphic Design in Hindi)
“Graphic Design क्या है? (What is Graphic Design in Hindi)” हमेंसे अधिकांश लोग ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन “Graphic Design क्या है? (What is Graphic Design in Hindi)“।आप “ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) से क्या समझते हैं?” ज्यादातर लोगों को पता नहीं रहता हैं। इस पोस्ट में “Graphic Design क्या है?” से सम्बन्धित कुछ ऐसे सवालों का जवाब देने जा रही हूं। जो की मुझे पूर्ण विश्वास हैं की आपको “Graphic Design क्या है?”, तथा “Graphic Design” से सम्बन्धित आपके सारे सवालों का जवाब आवश्य मिल जायेंगे।
“Graphic Design Kya Hai” ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design), जिसे कम्युनिकेशन डिजाइन (Communication Design) के रूप में भी माना जाता हैं। जब हम अपने चारो ओर देखते हैं तो यह पाते हैं की हम बहुत से चित्रों (Pictures), छायाचित्रों (Photographs) और आकृतियों (Shapes) या छवियों (Images) से घिरे हैं। ये दृश्य वस्तुएँ ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) के नाना रूप हैं। ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) हमारे रोजमर्या की जिंदगी का हिस्सा हैं। जिसमें डाक टिकट जैसी छोटी चीज से लेकर बड़े-बड़े कागज और कपडे आदि पर छपे इश्तिहार या विज्ञापन (Advertisement) शामिल होते हैं।
ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) सौन्दर्यपरक (Aesthetic) एवं सुरुचिपूर्ण (Elegant) तरीके से हमें विचारो का आदान-प्रदान करने, संदेश देने (Message), मन को प्रेरित करने, ध्यान आकर्षित करने और सुचना देने में सहायता देती हैं। ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) दृश्य सम्प्रेषण (Communication) एवं सम्पर्क (Contact) का एक प्रमुख साधन हैं और इसमें संचार के तरह-तरह के माध्यम शामिल होते हैं। ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design), श्रोताओं को एक संदेश देने के लिए विजुअल्स एलिमेंट (Visual Element) जैसे की टाइपोग्राफी (Typography), इमेजेस (Images), सिम्बल (Symbol) और कलर्स (Colors) को चुनने और पुन: व्यवस्थित करने की कला हैं। कभी-कभी ग्राफिक डिजाइन को “Visual Communication” कहा जाता हैं, जो इनफार्मेशन देने के लिए किताब डिजाइन (Book Design), विज्ञापन (Advertisement), Logo या Website के अपने फंक्शन पर जोर देता हैं।
ग्राफिक डिजाइन का अर्थ और परिभाषा (Graphic Design Meaning & Definition in Hindi)
अंग्रेजी के ग्राफिक (Graphic) शब्द की उत्पत्ति यूनानी (ग्रीक) भाषा के शब्द “Graphikos” से हुई हैं। इसका तात्पर्य है लिखना (Write), रेखाचित्र (Sketch) बनाना (जो शाब्दिक न हो कर चित्रमय या प्रतीकात्मक हो) और ‘कला’ का अर्थ हैं। ऐसा कौसल जो किसी सुन्दर वास्तु या सृजनात्मक कल्पना से उत्पन्न कृति के निर्माण से प्रयुक्त होती हैं। सामान्य रूप से ग्राफिक कला (Graphic Art) के क्षेत्र में Logo के रूप से लेकर कलात्मक छाप बनाने (Print Making) तक, वाणिज्य कलाओं (Commercial Arts) से लेकर ललित कलाओं (Fine Arts) तक सभी कुछ शामिल हैं। रेखाचित्र (Sketches), संकेत (Signs) और प्रतीक (Symbols) भी चाहे वह मुद्रित हो या चित्रित, ग्राफिक कला (Graphic Art) के शीर्षक के अंतर्गत आते हैं।
आलेखन (फ्रेंच- डिजिन: इटालियन-दिजिनो: संस्कृत-कल्प, रचना)
पुनर्जागरण काल में, डिजाइन (Design) को इटली में चित्रकला (Drawing) का अभिन्न अंग समझा जाता था। तब वहा डिजाइन विषय की एक सुव्यवस्थित शब्दावली आविष्कृत की गई। पंद्रहवी शताब्दी के आस-पास कलाशास्त्रियों ने यह पता लगाया की-
चित्रकला के चार तत्व होते हैं।
- डिजाइन (Design)
- रंग (Color)
- संयोजन (Composition)
- अविष्कार (Invention)
उस काल में यानि पंद्रहवी शताब्दी में कला समीक्षक डिजाइन को दो भागों में बाँटा गया हैं।
- आतंरिक डिजाइन (Interior Design)
- बाह्य डिजाइन (External Design)
संचार क्या है? (What is Communication in Hindi) – जाने हिंदी में। यहाँ पढ़ें
ग्राफिक डिजाइन का इतिहास (History of Graphic Design in Hindi)
आज हम ग्राफिक डिजाइन को एक नवीन कला के रूप में देखते हैं। वही ग्राफिक डिजाइन का इतिहास (History of Graphic Design in Hindi) भी उतना ही पुराना हैं। जितना की हमारी सभ्यता। क्योंकि हमारी शुरूआती लिपि शब्द आधारित न हो कर चित्र चिन्ह संकेत आधारित थी।
- अगर देखा जाये तो व्यवस्थित तौर पर ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) शब्द सर्वप्रथम सन 1922 में विलियम्स एडिसन दिगिन्स ने उपयोग किया था।
- Lascaux की प्राचीन गुफाओं में Illuminati हस्तलिपि में ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) के प्रमाण मिलते हैं।
- इतिहास में विभिन्न रूपों में ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) का अभ्यास किया गया। वास्तव में, प्राचीन चीन, मिस्र और ग्रीस में पुरातन जमाने पांडुलिपियों के लिए ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) बहुत महत्वपूर्ण हैं।
- 15वी शताब्दी में बुक्स और अन्य प्रिंटिंग प्रोडक्शन (Print Production) के रूप में डेवलप (Develop) हुआ।
- 19 वी सदी में ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) पश्चिम में एक विशिष्ठ प्रोफेशन के रूप में उभरा।
- 20वी सदी के अंत में विज्ञापन, LOGO, ग्राफिक आर्ट का चलन बढ़ने से ग्राफिक डिजाइन का महत्त्व काफी बढ़ गया हैं।
- 20 वी शताब्दी में ही, डिजाइनरों (Designers) लिए तकनीक तेजी से आगे बढ़ती रही, जैसे की डिजाइन (Design) के लिए कलात्मक (Artistic) और व्यावसायिक (Professional) सम्भावनाएं थी।
- इस प्रोफेशन का बहुत अधिक विस्तार हुआ और ग्राफिक डिजाइनर मैगजीन पेजेस (Magazine Pages), बुक्स जैकेट (Books Jackets), पोस्टर (Posters), कॉम्पैक्ट डिस्क कवर (Compact Disc Covers), डाक टिकट (Stamps), पैकेजिंग (Packaging), ट्रेडमार्क (Trademarks), साइन (Signs), विज्ञापन (Advertisements), टेलीविजन प्रोग्राम (Television Programs) और मोशन पिक्चर (Motion Pictures) के लिए काइनेटिक टाइटल (Title) और वेबसाइट (Website) आदि।
- 21 वी सदी तक तो ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) एक ग्लोबल प्रोफेशन (Global Profession) बन गया है। अब तो बिना ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) का पूरी दुनिया नहीं चलती हैं।
डिजाइन एवं ग्राफिक के मूल सिद्धांत (Basic Principles of Design and Graphic)
डिजाइन (Design) व ग्राफिक्स (Graphic) की नित्य नवीनतम और विविधता साज-सज्जा की सफलता का मूलमंत्र हैं। किन्तु कुछ सामान्य नियम ऐसे होते हैं कि वे अधिकांश लोगों को रुचिकर लगते हैं। वे नियम जो साज-सज्जा के लिए पर्याप्त महत्त्व रखते हैं और इसके कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं।
संतुलन (Balance)
- किसी भी कृति को सुन्दर प्रदर्शित करने में संतुलन (Balance) का हाथ होता हैं।
- संतुलन वास्तविक एवं काल्पनिक दोनों प्रकार का हो सकता हैं।
- समाचार पत्र के दाएं व बाएं भाग में कोई विशिष्ट असमानता दृष्टिगोचर न हो तो पृष्ठ पूरी तरह संतुलित (Balance) माना जाता हैं।
फोकस (Focus)
- फोकस (Focus) वह बिंदु होता हैं।
- जहाँ पाठकों का ध्यान सर्वाधिक केन्द्रित होता हैं।
- समाचार (News) पृष्ठ के लिए यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
- प्राय: लिपि (Script) के उलटे से सीधे हाथ कि ओर लिखे जाने के कारण एक आम पाठक की नजर पृष्ठ के बाएँ भाग पर पहले पड़ती हैं।
- इसलिए बयां कोना पाठ आरम्भ करने का प्रारम्भिक बिंदु माना जाता हैं।
- डिजाइन-ग्राफिक्स (Graphic Design) के क्रम में यही सिद्धांत लागु किया जाता हैं।
विरोधाभास (Contradiction)
- अंग्रेजी में इसे “कंट्रास्ट” (Contrast) कहा जाता हैं। पाठक का ध्यान आकृष्ट करने का यह सशक्त माध्यम हैं।
- अलग प्रकार के छोटे-बड़े टाइप (Type), गहरे-हलके रंग, खाली स्थान आदि के माध्यम से विरोधाभास उत्पन्न किया जाता है।
- जिसके कारण पाठक का ध्यान उस ओर तुरंत पडता हैं।
संगति (Consistency)
- यह विरोधाभास के एकदम विपरीत स्थिति हैं। टाइप या अन्य आकारों को इसमें एक साथ रखा जाता हैं।
- जिसमें परस्पर सामंजस्य बैठता है। पृष्ठ को एक इकाई के स्वरूप में देखा जाता हैं।
- विशिष्ठ आकर, टाइप व ब्लॉक्स को एस प्रकार संगत किया जाता हैं की वे देखने में विसंगतियुक्त न लगें।
- संगत स्थितियों में परस्पर तालमेल दिखाई देने के कारण वह रुचिप्रद लगता हैं।
गति (Speed)
- दर्शक या पाठक की आँख स्वाभाविक रूप से किस प्रकार पृष्ठ की गति में चलती हैं।
- उसके अनुसार डिजाइन ग्राफिक्स को संयोजित कर यह प्रयास किया जाता हैं।
- कि वह स्वाभाविक क्रम में पाठकों कि आँख को एक से दुसरे महत्वपूर्ण विषय की ओर ले जाये।
इन्हें भी पढ़े – फोटो पत्रकारिता जानिए हिंदी में (Photojournalism in Hindi)
ग्राफिक डिजाइन के तत्व (Basic Elements of Graphic Design in Hindi)
ग्राफिक डिजाइन के तत्व तीन प्रकार के हैं जो निम्नलिखित हैं।
बुनियादी तत्व (Basic Elements)
संयोजन के बुनियादी तत्व अमूर्त (Intangible) संकल्पनाओं (Concepts) के रूप में होते हैं। वास्तव में उनका कोई मूर्त अस्तित्व नहीं होता।
बिंदु (Point)
- गणित में बिंदु (Point) की परिभाषा देते हुए यह बताया गया हैं की यह एक ऐसा सत्व या आकार हैं।
- जिसकी लम्बाई और चौड़ाई नहीं होती अर्थात यह एक आयामरहित सत्व (Entity) होता हैं।
- ग्राफिक डिजाइन में, बिंदु को एक डॉट (थोड़े मोटे बिंदु) के रूप में प्रस्तुत किया जाता हैं और यह एक स्थिति का सूचक होता हैं।
- यह किसी रेखा का आरम्भ या अंत होता हैं।
रेखा (Line)
- रेखा एक ऐसा एकायामी सत्व या आकर होती हैं। जिसकी लम्बाई तो होती हैं पर चौड़ाई नहीं होती हैं।
- ग्राफिक डिजाइन में, इसकी परिभाषा लाक्षणिक रूप में यह की जाती है।
- उन की ‘रेखा घुमने के लिए गया एक बिंदु हैं।
- यानि रेखा एक गतिमान बिंदु होती हैं। लेकिन ग्राफिक डिजाइन में चित्रित रेखा लम्बाई और चौड़ाई भी रखती हैं।
- वहां रेखा बारीक़ या मोटी भी हो सकती हैं।
- इसकी बारीकी और मोती में भी अनेक अंतर हो सकते हैं।
तल (Floor)
- तल को एक ऐसा सत्व के रूप में परिभाषित किया गया हैं।
- जिसकी लम्बाई और चौड़ाई तो होती है पर गहराई नहीं होती हैं।
- यह दोआयामी चपटा या समतल होता हैं।
अन्तराल (Lnterval)
अंतराल को अनंत या अपरिमित विस्तार के रूप में परिभाषित किया गया हैं। इसे त्रिआयामो में बिन्दुओं के संग्रह के रूप में परिभाषित किया गया जाता हैं। लेकिन ग्राफिक डिजाइन में इसे किसी रचना में मौजूद दृश्य प्रतिरूपण के रूप में परिभाषित किया जाता हैं। डिजाइन के अन्य तत्वों जैसे – रेखा, रंग, रूप आदि का प्रयोग करके, दो आयामी सतहों या वर्ग का भ्रम पैदा किया जा सकता हैं। इसी प्रकार, किसी भौतिक अन्तराल और संकल्पनात्मक अन्तराल को भी किसी रचना में प्रस्तुत किया जा सकता हैं।
आकृति (Shape)
किसी दोआयामी रूप की परिरेखा परिभाषित रूप रेखा को आकृति कहा जाता हैं।
रूप (Form)
किसी व्यक्ति या पशु के शरीर, पेड़, पत्ते या वास्तु की किसी भी आकृति, रूप रेखा रचना को रूप कहते हैं।
रंग (Colour)
रंग दृश्य प्रत्यक्षण का एक बुनियादी और सारभूत गुण हैं और इसलिए यह ग्राफिक डिजाइन का सार्वधिक प्रभावकारी तत्व होता हैं।
धूसर पैमाना (Grayscale)
- धूसर पैमाना (Grey Scale) सफेद, काली और अन्य रंगतो की एक निर्धारित व्यवस्था हैं।
- जो काले और सफेद रंगो को भिन्न-भिन्न अनुपातों में मिलकर उत्पन्न की जाती हैं।
रंगत (Color)
- रंगत का एक विशिष्ठ गुण होता हैं। जिससे रंग-विशेष की पहचान की जस्ता है।
- इस गुणवत्ता के कारण आँखे एक रंग को दुसरे रंग से अलग करके पहचानती हैं।
मान (Values)
धूसर पैमाने के सन्दर्भ में किसी वर्ण की रंगत के सापेक्षिक गहरेपन या हल्केपन्न को “मान” (Value) कहा जाता हैं।
चमक/दीप्ति Brightness / Brilliance
- दीप्ति (Luminosity) किसी रंग के चमकीलेपन या ताजगी को दर्शाने वाला गुण हैं।
- जब किसी रंग-रंगत शुद्ध होती हैं। तो वह सबसे अधिक चमकदार होता हैं।
बुनावट या पोत (Texture or Vessel)
बुनावट या पोत (Visual Texture) किसी सतह की विशेषता होती हैं जो किसी दृश्य रचना में स्पर्श की अनुभूति उत्पन्न करती हैं।
सम्बन्धात्मक तत्व (Relational Principle)
इस गर्म अनेक दृश्य योजनम बिंदु रेखा और रूप जैसे आधारभूत तत्वों के स्थापन और उनके अंतर सन्धात्मक को अनुशासित करते हैं। इन तत्वों का ध्यान रखने से रचना के दृश्य प्रभाव में वृद्धि होती है। इसके कुछ तत्व इस प्रकार हैं:-
संरेखण (Alignment)
जब किसी संयोजन में एक समूह के तत्व को क्षैतिज रूप में इस प्रकार दर्शाता या व्यवस्थित किया जाए की वे सब एक ही रेखा में आएँ।
तब इस व्यवस्था को संरेखण कहा जाता हैं।
दिशा-आकर्षण (Directional Attraction)
यह ग्राफिक तत्वों की एक ऐसे वयवस्था हैं जो दर्शको की दृष्टि को संयोजन में वांछित रीती से आगे बढ़ने में सहायता देती हैं या मार्ग दिखाती हैं। यह दरअसल दर्शकों को प्रत्याशित दिशा में आगे बढ़ने के लिए बाध्य करती हैं।
आकृत और भूमि
- किसी संयोजन में दृश्य तत्व रिक्त स्थान या अन्तराल को भरते हैं।
- मुख्य आकृतियों या दृश्य तत्वों द्वारा भरा गया।
- अंतराल सकरात्मक अंतराल कहलाता हैं और शेष अंतराल नकारात्मक अंतराल होता हैं।
दृश्य गुरूत्व
हममें से सभी लोग पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति यानि उसके गुरुत्व को महसूस करते हैं और उसके साथ भारीपन या हल्केपन का सम्बन्ध जोड़ते हैं।
इन्हें भी पढ़े – विज्ञापन क्या है? इन हिंदी (What is Advertising in Hindi)
अभिप्रयमुलक तत्व (Motivational Element)
सभी डिजाइनो का कोई-न-कोई प्रयोजन या अभिप्राय आवश्य होता हैं। ग्राफिक आकृतियाँ लक्ष्यगत दर्शको पर असर करती हैं। अभिप्रय्मुलक तत्व तीन प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार हैं।
सौन्दर्य (Beauty)
जब प्रकृति से दिया गया कोई संकल्पना या विचार बिंदु, रेखा, रंग, पोत, आकृति आदि का प्रयोग करके अभिव्यक्त किया जाता हैं तो उसे प्रतिरूपण कहते हैं। किसी संकल्पना या प्राकृतिक रूपों का प्रतिरूपण में सज्जात्मक तथा आल्कारिक होता हैं। यदि प्रतिरूपण में अनावश्यक ब्योरों को छोड़ दिया जाए और प्रतिरूपण कम से कम हो तब उसे अमूर्त प्रतिरूपण (Abstract-representation) कहा जाता हैं।
विषय वस्तु (Subject Object)
किसी डिजाइन के संदेश या प्रसंग को विषयवस्तु कहा जाता हैं। ये प्रसंग ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, परिस्थितिक या वैज्ञानिक आदि हो सकते हैं।
कार्य (Work)
डिजाइन का प्रयोजन या अनुप्रयोग प्रतिफल देना हैं। उदाहरन के लिए, डिजाइन सूचना प्रदान करने वाली हो सकती हैं, अर्थात यह किसी वस्तु के बारे में जागरूकता पैदा कर सकती हैं अथवा कोई जानकारी दे सकती हैं।
ग्राफिक डिजाइनिंग में पेज लेआउट के प्रकार (Types of Page Layouts in Graphic Designing in Hindi)
- मोंड्रियन लेआउट (Mondrian layout)
- सर्कस लेआउट (Circus layout)
- बहुपरत लेआउट (Multilayer layout)
- सिल्हूट लेआउट (Silhouette layout)
- बिग-टाइप लेआउट (Big-type layout)
- वर्णमाला से प्रेरित लेआउट (Alphabetical layout)
- मोंड्रियन लेआउट (Mondrian Layout)– मोंड्रियन लेआउट रूपों को संदर्भित करता है। वर्ग, परिदृश्य या चित्र, जहां प्रत्येक क्षेत्र के समानांतर है और एक ऐसी रचना बनाने के लिए छवि को लोड करता है जो वैचारिक है।
- बहुपरत लेआउट (Multilayer Layout)– बहुपक्षीय लेआउट को विभिन्न वर्गों या थीम में एक ही आकार में विभाजित किया जाता है जैसे आयत, वर्ग, घन, आदि।
- सिल्हूट लेआउट (Silhouette Layout)- सिल्हूट लेआउट चित्रण या फोटोग्राफिक तकनीक के रूप में लेआउट को संदर्भित करता है, केवल छाया के माध्यम से हाइलाइट किया जाता है। प्रस्तुतियों को टेक्स्ट-रैप या स्पॉट रंग चित्रण या फोटोग्राफिक तकनीकों के साथ चिकनी छवि पिकअप के रूप में आकार दिया जा सकता है।
- बिग-टाइप लेआउट (Big-Type Layout)– बिग-टाइप लेआउट फॉन्ट शैलियों और बड़े फ़ॉन्ट आकारों पर जोर देता है ताकि दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया जा सके। आमतौर पर हेडलाइन बनाने के लिए बड़े-प्रकार के लेआउट का उपयोग किया जाता है।
- वर्णमाला प्रेरित लेआउट (Alphabet-Inspired Layout)– वर्णमाला- प्रेरित लेआउट उपयुक्त अनुक्रम में अक्षरों या संख्याओं की व्यवस्था पर केंद्रित है या कहानी की छाप या विज्ञापन के लिए एक विचार देने के लिए बढ़ाया जाता है।
इन्हें भी देखें –
- लू लगने पर घरेलू उपचार इन हिंदी (Heat Stroke Home Remedies in Hindi)
- भारत की 5 सबसे खौफनाक जगह, जहां होती हैं अजीब घटनाएं इन हिंदी
- जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन क्या है? (What is Mass Communication in Hindi)
- फोटो पत्रकारिता जानिए हिंदी में (Photojournalism in Hindi)
- प्रिंट मीडिया क्या है? जानिए हिंदी में (What is Print Media in Hindi)
निष्कर्ष (Conclusion)
दोस्तों आपने पढ़ा की “Graphic Design क्या है? (What is Graphic Design in Hindi)“, “ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) के तत्व” आदि। ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design) जिसे संचार डिजाइन (Communication Design) के रूप में भी जाना जाता है। योजना बनाने और विचारों को पेश करने, दृश्य और पाठ्य सामग्री के अनुभवों की एक कला है। ग्राफिक डिजाइन (Graphic Design), दर्शकों को संदेश (Message) देने के लिए टाइपोग्राफी (Typography), चित्र (Images), प्रतीक (Symbols) और रंग (Colors) जैसे दृश्य तत्वों को चुनने और फिर से देखने की कला है। आशा करती हूं की “Graphic Design क्या है? (What is Graphic Design in Hindi)” पर पोस्ट पसंद आया तो आप इसे अपने सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले। अगर आपको “Graphic Design क्या है?” पर कोई उलझन हो तो कमेंट कर अपने सवाल पूछे।
Graphics technology is very useful in our life Thank you Karuna Tiwary share for this knowledge
धन्यवाद। आकाश तिवारी
U have described each element very precisly thankyou for uploading content in hindi do post the topics related to photojournalism and graphics .
धन्यवाद स्वाती