विषय-सूची
- महात्मा गांधी का जीवनी (Biography of Mahatma Gandhi in Hindi)
- महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ (Mahatma Gandhi Born in Hindi)
- वर्तमान समय में महात्मा गाँधी के परिवार के बारे में जानें…
- महात्मा गाँधी के आंदोलन के नाम
- 1. असहयोग आंदोलन।
- असहयोग आंदोलन की तैयारी!!
- असहयोग आंदोलन का चौरी-चौरा काण्ड…
- 2. दांडी मार्च।
- 3. दलित आंदोलन।
- 4. भारत छोड़ो आंदोलन।
- 5. चंपारण सत्याग्रह।
- महात्मा गांधी का मृत्यु कब हुआ?
- निष्कर्ष (Conclusion)
महात्मा गांधी का जीवनी (Biography of Mahatma Gandhi in Hindi)
जब भी हम भारत देश के इतिहास के बारे में बात करते है। तब “महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)” का बात जरुर करते है। इसलिए यह निश्चित है, की हम सभी स्वतंत्रता संग्राम की बात जरुर करते है।
आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले सेनानियों का भी बात करते है। आज इस लेख के माध्यम से “महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)” और भारत में उनके योगदान के बारे में विस्तार से जानेगें।
‘महात्मा गांधी इन हिंदी‘ महात्मा गाँधी भारत के सिर्फ स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं थे बल्कि वो वकील (Lawyer), राजनीतिज्ञ (Politician), सामाजिक कार्यकर्ता (Social Worker) और लेखक (Author) भी थे। वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन (Nationalist Movement) के नेता बने।
उन्हें भारत देश का राष्ट्रपिता (Father of the Nation) भी कहा जाता है। गांधी जी को उनके सिद्धांत (Theory) के लिए अंतरराष्ट्रीय (International) स्तर पर सम्मानित किया जा चूका है।
उनके लिखे गए लेखों को लोग आज भी बड़े ही चाव से पढ़ते है। वह एक अहिंसा (Non-Violence) के पुजारी थे। उनका मानना था की वह शांति से आजादी पा सकते थे। वह खून-खराबा नहीं करना चाहते थे।
‘महात्मा गांधी का जीवन परिचय बताइए‘ महात्मा गांधी अहिंसक सविनय अवज्ञा के एक सूत्र के वास्तुकार थे। जो दुनिया को प्रभावित करते थे। गांधी जी के जीवन और शिक्षाओं ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला सहित सक्रिय कार्यकर्ताओं को हमेशा ही प्रेरित किया है।
‘महात्मा गाँधी का जीवन परिचय हिंदी में‘ उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Struggle) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त किया।
साथ ही साथ भारत के गरीब लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सत्याग्रह (Satyagraha) की अपनी अवधारणा (Accreditation) का उपयोग करते हुए लगन से काम किया।
महात्मा गांधी ब्रिटिश शासन के खिलाफ और दक्षिण अफ्रीका में भारत के अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे। जिन्होंने भारतीयों के नागरिक अधिकारों की वकालत की थी।
गांधी जी ने कानून का अध्ययन किया और सविनय अवज्ञा के शांतिपूर्ण रूपों में ब्रिटिश संस्थानों के खिलाफ बहिष्कार का आयोजन किये थे।
आइए हम “महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)”, “महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ (Mahatma Gandhi Born in Hindi)”, “महात्मा गांधी का आंदोलन इन हिंदी (Mahatma Gandhi Andolan in Hindi)”, “महात्मा गांधी स्वदेशी आन्दोलन (Mahatma Gandhi Swadeshi Andolan in Hindi)”, “महात्मा गांधी आन्दोलन लिस्ट इन हिंदी लैंग्वेज”, “महात्मा गांधी इन हिंदी एस्से (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)” आदि जानते है।
महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ (Mahatma Gandhi Born in Hindi)
नाम | मोहनदास करमचंद गांधी |
पिता का नाम | करमचंद गांधी |
माता का नाम | पुतलीबाई |
जन्म दिनांक | 2 अक्टूबर, 1869 |
जन्म स्थान | गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र में |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | बैरिस्टर |
पत्नि | कस्तूरबाई माखंजी कपाड़िया (कस्तूरबा गांधी) |
संतान | 4 पुत्र -: हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास |
मृत्यु | 30 जनवरी 1948 |
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था। गांधी जी का जन्म पश्चिमी भारत में वर्तमान में गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचन्द गाँधी है।
गुजराती भाषा में गाँधी का अर्थ “पंसारी” होता है। जबकि हिन्दी भाषा में गाँधी का अर्थ “इत्र फुलेल बेचने वाला” होता है। जिसे अंग्रेजी में ‘परफ्यूमर‘ कहा जाता है।
उनके पिता का नाम ‘करमचन्द गाँधी‘ था। इनके पिता पेशा से दीवान थे। इनके पिता सनातन धर्म की पंसारी जाति से सम्बन्ध रखते थे। जब ब्रिटिश सरकार थी। तब इनके पिता काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दीवान अर्थात् प्रधानमंत्री थे।
उनकी माता का नाम ‘पुतलीबाई‘ था। पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थी। गांधीजी के जीवन में उनकी माता का बहुत अधिक प्रभाव रहा है।
गाँधी जी का बहुत कम उम्र में शादी करा दी गई थी। उनका 13 साल की उम्र में ही शादी हो गई थी। उनकी पत्नी का नाम ‘कस्तूरबा‘ था। कस्तूरबा गाँधी शादी के समय 14 साल की थी।
वर्तमान समय में महात्मा गाँधी के परिवार के बारे में जानें…
गाँधी जी चार भाई-बहन थे। सबसे बड़े लक्ष्मीदास, रलियत बेन, करसनदास और सबसे छोटे मोहनदास जिन्हें भारतवासी प्यार से ‘बापू‘ कहते हैं।
- बापू अपने परिवार में सबसे छोटे थे।
- उनकी एक बड़ी बहन रलियत और दो बड़े भाई लक्ष्मीदास और कृष्णदास थे।
- उनकी दो भाभियां ‘नंद कुंवरबेन’ और ‘गंगा’ थीं।
- गाँधी जी के परिवार में 4 बेटे और 13 पोते-पोतियां हैं।
- गाँधी जी के पोते-पोतियां और उनके 154 वंशज आज 6 देशों में रह रहे हैं।
- इनमें 12 चिकित्सक, 12 प्रोफेसर, 5 इंजीनियर, 4 वकील, 3 पत्रकार, 2 आईएएस हैं।
- 1 वैज्ञानिक, 1 चार्टड एकाउंटेंट, 5 निजी कंपनियों मे अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं।
- इस परिवार में 4 पीएचडी धारक भी हैं।
- परिवार में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या ज्यादा है।
- गाँधी जी के वंशज आज भारत, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में हैं।
महात्मा गाँधी और कस्तूरबा गाँधी के चार बेटे थे।
- हरिलाल (परिवार में 68 सदस्य)
- मणिलाल (परिवार में 39 सदस्य)
- रामदास (परिवार में 19 सदस्य)
- देवदास (परिवार में 28 सदस्य)
महात्मा गाँधी के आंदोलन के नाम
1. असहयोग आंदोलन।
असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव दिसम्बर 1920 को प्रस्ताव पारित हुआ। जो लोग भारत से उपनिवेशवाद को खत्म करना चाहते थे। उनसे आग्रह किया गया कि वे स्कूलो, कॉलेजो और न्यायालय न जाएँ तथा कर न चुकाएँ।
सभी को अंग्रेजी सरकार के साथ स्वेच्छापूर्ण से संबंधों के परित्याग का पालन करने के लिए कहा गया था। गाँधी जी ने कहा कि यदि असहयोग आंदोलन का ठीक से पालन किया जाए, तो भारत एक वर्ष के भीतर स्वराज हासिल कर लेगा।
अपने संघर्ष का और विस्तार करते हुए उन्होंने खिलाफत आन्दोलन के साथ हाथ मिला लिए जो हाल ही में तुर्की शासक कमाल अतातुर्क द्वारा समाप्त किए गए सर्व-इस्लामवाद के प्रतीक खलीफ़ा की पुनर्स्थापना की माँग कर रहा था।
असहयोग आंदोलन की तैयारी!!
गाँधी जी का आशा था कि असहयोग आंदोलन को खिलाफ़त के साथ मिलाने से भारत के दो प्रमुख समुदाय- हिन्दू और मुसलमान मिलकर औपनिवेशिक शासन का अंत कर देंगे।
इन आंदोलनों ने निश्चित रूप से एक लोकप्रिय कार्रवाई के प्रवाह को फैलाया और ये चीजें औपनिवेशिक भारत में बिल्कुल अभूतपूर्व थीं। छात्रों ने सरकार द्वारा संचालित स्कूलों और कॉलेजों में जाना बंद कर दिया।
वकीलों ने अदालत में जाने से मना कर दिया। कई कस्बों और शहरों में, श्रमिक वर्ग हड़ताल पर चले गए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1921 में 396 हमले हुए थे। जिनमें 6 लाख श्रमिक शामिल थे और इससे 70 लाख का नुकसान हुआ था।
ग्रामीण क्षेत्र भी असंतोष से ग्रस्त था। पहाड़ी जनजातियों ने वन्य कानूनों की अवहेलना कर दी। अवधि के किसानों ने कर नहीं चुकाए। कुमाऊं के किसानों ने औपनिवेशिक अधिकारियों का माल ले जाने से इनकार कर दिया।
इन विरोध आंदोलनों को कभी-कभी स्थानीय राष्ट्रवादी नेतृत्व की अवहेलना के रूप में लागू किया गया था। किसानों, श्रमिकों और अन्य लोगों ने अपने तरीके से इसकी व्याख्या की।
औपनिवेशिक शासन के साथ ‘असहयोग‘ के लिए, उन्होंने उन तरीकों का उपयोग करते हुए कार्रवाई की, जो ऊपर से प्राप्त निर्देशों से चिपके रहने के बजाय उनके हितों से मेल खाते थे।
महात्मा गाँधी के अमरीकी जीवनी-लेखक लुई फ़िशर ने लिखा है कि ‘असहयोग भारत’ और गाँधी जी के जीवन के एक युग का ही नाम हो गया। असहयोग शांति की दृष्टि से नकारात्मक किन्तु प्रभाव की दृष्टि से बहुत सकारात्मक था।
इसके लिए प्रतिवाद, परित्याग और स्व-अनुशासन आवश्यक थे। यह स्वशासन के लिए एक प्रशिक्षण था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति के बाद पहली बार असहयोग आंदोलन के अंग्रेजी राज की नींव हिल दी थी।
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असहयोग आंदोलन का चौरी-चौरा काण्ड…
फरवरी 1922 में, गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा पुरवा में किसानों का समूह एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी। इस आग में कई पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी। हिंसा की इस कार्रवाई ने गाँधी जी को तुरंत इस आंदोलन को वापस लेने के लिए मजबूर किया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि, किसी भी निहत्थे आदमी पर वार नहीं करना है। लेकिन गाँधी जी यहां यह भूल गए कि 1919 में बैसाखी के दिन, जलियांवाला बाग में कैसे हजारों निहत्थे भारतीयों को मशीन गनों से निर्दयतापूर्ण मार दिया गया था।
फिर भी हजारों भारतीयों को असहयोग आंदोलन के दौरान जेल में डाल दिया गया था। 1922 में गांधीजी को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर कार्यवाही की अध्यक्षता करने वाले न्यायाधीश सी.एन. ब्रूमफील्ड ने उन्हें सजा सुनाते हुए एक महत्वपूर्ण भाषण दिया था।
जज ने टिप्पणी की, इस तथ्य को नकारना असंभव होगा कि मैने आज तक जिनकी जाँच की है अथवा करूँगा आप उनसे अलग श्रेणी के हैं। इस तथ्य को नकारना असंभव होगा कि आपके लाखों देशवासियों की दृष्टि में आप एक महान देशभक्त और नेता हैं।
यहाँ तक कि राजनीति में जो लोग आपसे अलग मत रखते हैं। जज ब्रूमफ़ील्ड को गाँधी जी को 6 वर्षों की जेल की सजा सुनाया जाना आवश्यक था। लेकिन जज ब्रूमफ़ील्ड ने कहा कि ‘यदि भारत में घट रही घटनाओं की वजह से सरकार के लिए सजा में कमी और आपको मुक्त करना संभव हुआ तो इससे मुझसे ज्यादा कोई प्रसन्न नहीं होगा।
2. दांडी मार्च।
दांडी मार्च को ही नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है। यह आन्दोलन 1930 में हुआ था। ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर कर लगाने के खिलाफ यह आन्दोलन किया गया था।
इस ऐतिहासिक सत्याग्रह कार्यक्रम को गाँधी जी सहित 6 लोगों ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद साबरमती आश्रम से तटीय गाँव दांडी तक पैदल करके किया था। भारत में अंग्रेजों के शासनकाल के समय नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर बड़ी मात्रा में कर लगा दिया था।
नमक जीवन के लिए जरूरी चीज होने के कारण भारतवासियों को इस कानून से मुक्त करने और अपना अधिकार दिलवाने हेतु ये सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
कानून तोड़ने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियाँ खाई थी। इस आंदोलन में लोगों ने गाँधी के साथ पैदल यात्रा की और जो नमक पर कर लगाया था। उसका विरोध किया गया।
इस आंदोलन में कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। ये आंदोलन पूरे एक साल तक चला और 1931 को गाँधी-इर्विन के बीच हुए समझौते से खत्म हो गया। इसी आन्दोलन से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई थी।
3. दलित आंदोलन।
महात्मा गांधी जी ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी। जबकि गाँधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना 1932 में की थी।
4. भारत छोड़ो आंदोलन।
अगस्त 1942 में गाँधी जी ने ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की तथा भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर करने के लिए एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन ”करो या मरो” आरंभ करने का निर्णय लिया।
5. चंपारण सत्याग्रह।
चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था जो बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गाँधी की अगुवाई में 1917 को शुरू हुआ था। इस आंदोलन के माध्यम से गांधी ने लोगों में जन्में विरोध को सत्याग्रह के माध्यम से लागू करने का पहला प्रयास किया जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।
महात्मा गांधी का मृत्यु कब हुआ?
मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुआ था। 1948 की शाम को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वे रोज शाम को प्रार्थना किया करते थे।
30 जनवरी 1948 की शाम को, जब वह शाम की प्रार्थना के लिए जा रहा थे। तब नाथूराम गोडसे ने पहले उसके पैर छुए और फिर बैरेटा पिस्तौल से उन पर तीन गोलियां दाग दीं।
उस समय गांधी जी अपने अनुयायियों से घिरे हुए थे। इस मुकदमे में नाथूराम गोडसे सहित आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया। इन आठ लोगों में से तीन आरोपियों ‘शंकर किस्तैया’, ‘दिगम्बर बड़गे’, ‘वीर सावरकर‘, में से दिगम्बर बड़गे को सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया।
शंकर किस्तैया को उच्च न्यायालय में अपील करने पर माफ कर दिया गया। वीर सावरकर के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं मिलने की वजह से अदालत ने जुर्म से मुक्त कर दिया।
बाद में सावरकर के निधन पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया। अन्त में बचे पाँच अभियुक्तों में से तीन – गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ। नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फाँसी दे दी गयी।
इन्हें भी देखे-
- संचार क्या है? (What is Communication in Hindi) – जाने हिंदी में।
- जनसंचार का परिभाषा (Definition of Mass Communication in Hindi)
- मास कम्युनिकेशन क्या है? (What is Mass Communication in Hindi)
- NRC क्या है? (NRC Kya Hai in Hindi) – पूरी जानकारी हिंदी में।
- लक्ष्मी अग्रवाल का जीवन परिचय (Lakshmi Agarwal Biography in Hindi) – हिंदी में।
निष्कर्ष (Conclusion)
“महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)” मोहनदास करमचंद गांधी एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और शक्तिशाली राजनीतिक नेता थे।
ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ‘महात्मा गांधी इन हिंदी जीवनी’ महात्मा गांधी भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। लेकिन उससे भी पहले पूरा देश उनको जिस सम्मान की दृष्टि से देखता हैं।
वैसा सम्मान ना कभी किसी और व्यक्तित्व को मिला हैं ना आने वाली कई शताब्दियों तक मिलने की सम्भावना हैं। ‘महात्मा गांधी इन हिस्ट्री’ वास्तव में “राष्ट्रपिता” के सम्मान से सुशोभित महात्मा गाँधी देश की अमूल्य धरोहर में से एक हैं।
क्योंकि उनका सम्मान और उनके विचारों का अनुगमन ना केवल भारतीय करते हैं। बल्कि भारत के बाहर भी बहुत बड़ी संख्या में लोग गांधीजी के विचारों और कार्यों को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।
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