बछेंद्री पाल का जीवन परिचय (Bachendri Pal Biography in Hindi)

बछेंद्री पाल कौन है? (Who is Bachendri Pal in Hindi)

इस पोस्ट में आप सब “बछेंद्री पाल का जीवन परिचय (Bachendri Pal Biography in Hindi)” जानेंगें। आप बचपन में किताबों में इनकी कहानियां जरुर पढ़ी होगी। यह एक ऐसी औरत है, जो अपने घर, गावं और देश का सर गर्व से ऊचा उठा दिया है।

जिंदगी एवरेस्ट की तरह है। इसमें उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। लेकिन मुसीबतों से हारने के बजाय चुनौतियों का सामना करना असली खिलाड़ी की पहचान होती है।

“बछेंद्री पाल” नाम तो आपने सुना होगा। यह भारत की पहली महिला पर्वतारोही है। इन्होने उस समय माउन्ट एवरेस्ट पर चढने का निर्णय ली। जिस समय लड़कियों को लोग घर से बहार तक नहीं निकलने देते थे।

बछेंद्री पाल का जीवन परिचय (Bachendri Pal Biography in Hindi)
बछेंद्री पाल (जन्म 24 मई 1954), माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन 1984 में इन्होंने माउंट एवरेस्ट पर फतह किया था। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की पाँचवीं महिला पर्वतारोही हैं।

‘Bachendri Pal ka Jeevan Parichay in Hindi’ यह वह समय था, जब लोग लड़कियों को रसोईघर में देखना चाहते थे। उस समय में ‘बछेंद्री पाल’ ने समाज को यह दिखा दिया की लड़कियां हर तरह से अपनी जिन्दगी का रास्ता खुद बना सकती है। बछेंद्री पाल कहती हैं कि “भारतीय महिलाओं के जीवन में कुछ नामुमकिन नहीं है।” ऐसी सोच हर महिलाओं को रखना चाहिए।

बछेंद्री पाल कहती हैं कि इस देश की महिलाओं के साथ यह दिक्कत है कि जब भी अपने सम्मान की और देश का सर उचा करने की बात आती है तो वो यह सोचने लगती है, ओह, मैं तो एक औरत हूं, एक लड़की हूं मुझसे क्या हो सकता है?

मैं तो भारी समान तो उठा नहीं पाती!! जिन्दगी में कुछ करने का तो दूर-दूर तक वास्ता नहीं है! ये जो बात है, महिलाओं को हमेसा से ही अपने ही नजरों में गिरा कर रखता है।

अगर देखा जाये तो महिलाएं खुद को कमजोर नहीं समझे!! तो वह पुरुषो से हमेसा आगे रहेंगी। एक सोच आपकी जिंदगी को स्वर्ग भी बना देती है और नर्क भी बना देती है। देखा जाये तो एक महिला मल्टी-टैलेंटेड (Multi-Talented) होती है।

‘Biography of Bachendri Pal in Hindi’ पद्मभूषण से सम्मानित बछेंद्री पाल ने न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि दर्जनों पर्वतारोहियों को एवरेस्ट की राह दिखाई है। आज “बछेंद्री पाल टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की चेयरमैन हैं।”


23 मई 1984 को बछेंद्री पाल अपने साथियों के साथ माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंची थी। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला हैं और इस एतिहासिक सफलता के बाद बछेंद्री पाल ने सिर्फ अपने लिए नहीं, उन सभी युवाओं, बच्चों और खासतौर पर महिलाओं के लिए पहाड़ के रास्ते खोल दिए जो पहाड़ों से दोस्ती करने का सपना देखने की भी हिम्मत नहीं कर पाते थे।


बछेंद्री पाल की जीवनी इन हिंदी (Bachendri Pal ki Jivani in Hindi)

बछेंद्री पाल की जीवनी इन हिंदी” बचपन से बहादुरी की मिसाल रही बछेंद्री पाल ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने एक ऐसे समाज में अपनी पहचान बनाई है। जहाँ महिलाओं को हीन भावना से देखा जाता रहा है।

उनकी पढ़ने और लिखने की इच्छा का भी मजाक उड़ाया जाता था। बछेंद्री पाल को “आयरन लेडी” के नाम से भी जाना जाता है तो कोई प्रेरणास्रोत मानता है, तो कोई जीवन में सब कुछ हासिल करने का दमखम रखने वाली शख़्सियत मानता है।

बछेंद्री पाल का जीवन असधारण उपलब्धियों से भरा रहा है। उनका जीवन प्रतिबद्धता (Commitment), पैशन (Passion) और कठोर अनुशासन (Strict Discipline) की मिसाल रहा है।

“बछेंद्री पाल की जीवनी इन हिंदी (Bachendri Pal ki Jivani in Hindi)” भारत की बेटी “बछेंद्री पाल” दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला हैं।

बछेंद्री पाल दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5 वीं महिला पर्वतारोही हैं। उन्होंने यह कार्य 23 मई 1984 को किया था।

बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के कुछ समय बाद, भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली महिलाओं की एक टीम के अभियान का नेतृत्व भी किया।

साल 1994 में बछेंद्री पाल ने महिलाओं के साथ गंगा नदी में हरिद्वार से कोलकाता तक लगभग 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व भी किया।

हिमालय के गलियारों में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए कराकोरम पर्वत-श्रृंखला पर समाप्त होने वाला लगभग 4,000 किमी लंबा अभियान भी    इ­नके द्वारा इस दुर्गम क्षेत्र में ‘प्रथम महिला अभियान’ था।

बछेंद्री पाल का जन्म कब और कहां हुआ था?

बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) भारत के उत्तराखंड राज्य के एक छोटे से गांव नाकुरी, उत्तरकाशी की रहने वाली है। बछेंद्री पाल का जन्म 1954 में हुआ था। उनके छह भाई बहन हैं। इनकी माता का नाम हंसा देवी है और इनके पिता का नाम किशन सिंह पाल है। इनके पिता भारत से जाकर तिब्बत में सामान बेचा करते थे। इनकी माँ एक गृहणी थी।

नाम बछेंद्री पाल
जन्म स्थान नाकुरी, उत्तरकाशी, उत्तराखंड
जन्म तारीख 24 मई, 1954
धर्म हिंदू
निवासी जमशेदपुर, झारखंड
पिता और माता का नाम श्री किशन सिंह पाल, श्रीमती हंसा देवी
कुल भाई-बहन 6
पेशा पर्वतारोही और टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की प्रमुख
एवरेस्ट की चढ़ाई कब की 23 मई, 1984 (30 वर्ष की आयु में)
शैक्षणिक योग्यता बी.एड, संस्कृत भाषा में एम.ए और नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग

बछेंद्री पाल की शिक्षा (Education of Bachendri Pal in Hindi)

नाकुरी गाँव में जन्मे बछेंद्री पाल ने अपना अधिकांश जीवन इसी गाँव में व्यतीत किया है। अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने राज्य के एक सरकारी स्कूल से प्राप्त की है। बछेंद्री पाल पढ़ाई लिखाई में हमेशा तेज थी।

लेकिन उस समय, परिवार के सदस्यों ने हमारे देश में लड़कियों की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया करते थे। जिसके कारण लड़कियों को पढ़ाई से वंछित (Desired) रहना पड़ता था।

बछेंद्री पाल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। जब उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने की बात अपने पिता के सामने रखी, तो उनके पिता ने आगे पढ़ाई करने से मना कर दिया।

अपने पिता से मंजूरी नहीं मिलने के कारण, बछेंद्री पाल बहुत परेशान हो गई थी और उन्हें अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ने का डर सताने लगा था। लेकिन पाल की मां को पता था कि पाल अपने जीवन में कुछ अलग करने का सपना देखती है।

बछेंद्री पाल के इन सपनों को पूरा करने के लिए, उसकी माँ ने पाल के पिता को समझाया कि वह पाल को आगे की पढ़ाई करने की अनुमति दे। जिसके बाद बछेंद्री पाल के पिता ने उनको आगे की पढ़ाई करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी।

पिता से पढ़ाई की अनुमति मिलने के बाद बछेंद्री पाल ने अपना पूरा ध्यान केवल अपनी पढ़ाई पर लगा दी थी। इस तरह से इन्होंने पहले बी. ए (B. A) में डिग्री प्राप्त की और इसके बाद संस्कृत भाषा में एम.ए (MA) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

पोस्ट ग्रेजुएशन (Post Graduation) की पढ़ाई करने के बाद बछेंद्री पाल ने बी.एड (B.Ed.) की डिग्री भी हासिल की। ताकि वो एक अध्यापिका बन सकें और अपना ज्ञान बच्चों में बांट सकें।

पर्वतारोहण करने का मिला पहला मौका (Bachendri Pal Mountaineer Career in Hindi)

पर्वतारोहण के दौरान बछेंद्री पाल का प्रदर्शन काफी पसंद किया गया और उन्हें इस कोर्स में ‘ए’ ग्रेड दिया गया। अपने पाठ्यक्रम को पूरा करने के दौरान, बछेंद्री पाल को पता चला कि भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन (IMF) एवरेस्ट के शिखर पर भेजने के लिए एक टीम बना रहा है और इस टीम में महिलाओं की आवश्यकता है।

बछेंद्री पाल को उस समय विश्वास नहीं हुआ कि वह एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ सकती है। लेकिन बछेंद्री पाल के प्रदर्शन के कारण, उन्हें IMF द्वारा 1984 में भारत से एवरेस्ट भेजी गई टीम के लिए चुना गया था।

एवरेस्ट जाने से पहले, बछेंद्री पाल को कई प्रशिक्षण दिए गए थे और उन्होंने इन प्रशिक्षणों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। IMF के इस अभियान में बछेंद्री पाल के साथ कुल 16 सदस्य थे और इन 16 सदस्यों में 11 पुरुष शामिल थे और अन्य महिलाएं थीं। इस अभियान को पूरा करने के लिए ये सभी लोग 7 मार्च 1984 में दिल्ली से नेपाल के लिए रवाना हुए थे।

बछेंद्री पाल का पुरस्कार एवं सम्मान

सम्मान वर्ष
भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन की ओर से सम्मानित किया गया था और गोल्ड मेडल दिया गया था। साल 1984 में
पद्मश्री’ अवार्ड से भी नवाजा गया। साल 1984 में
अर्जुन अवार्ड भी इन्हें दिया गया था। साल 1986 में
उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग ने भी गोल्ड पदक दिया था। साल 1985 में
’कोलकाता महिला अध्ययन समूह पुरस्कार’’ भी दिया गया था। साल 1986 में
‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी इनके नाम दर्ज हुआ। इसी साल इन्हें ‘नेशनल एडवेंचर अवार्ड’ भी केंद्र सरकार द्वारा दिया जा चुका है। साल 1990 में
हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय, गढ़वाल द्वारा पी.एचडी की मानद उपाधि से सम्मानित किया। साल 1997 में
मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई’ राष्ट्रीय सम्मान भी दिया। 2013-14 में
कलकत्ता स्पोर्ट्स पत्रकार एसोसिएशन पुरस्कार ने भी एक अवार्ड दिया। 2013 में

बछेंद्री पाल “टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन” की ब्रांड एम्बेसडर कैसे बनी?

बछेंद्री पाल अपने एवरेस्ट अभियान को पूरा करने के बाद, 1984 में टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में काम करना शुरू किया। इस एडवेंचर फाउंडेशन को उन्होंने बतौर एक प्रमुख ज्वाइन किया था और आज भी वह इस फाउंडेशन का हिस्सा हैं।

इस एडवेंचर फाउंडेशन के जरिए वो लोगों के साथ अपना तजुर्बा बांटती हैं। लोगों को पर्वतारोही बनने में मदद करती हैं। वहीं इस वक्त बछेंद्री पाल अपने भाई राजेंद्र के साथ जमशेदपुर में रहे रही हैं।


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निष्कर्ष (Conclusion)

“बछेंद्री पाल का जीवन परिचय (Bachendri Pal Biography in Hindi)” बछेंद्री पाल को पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में मिला था। 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ।

इस अभियान में जो टीम बनी, उस में बछेंद्री पाल समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 23 मई 1984 को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर ‘एवरेस्ट’ पर भारत का झंडा लहराया गया था।

“बछेंद्री पाल का जीवन परिचय (Bachendri Pal Biography in Hindi)” एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाली, वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं। भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद उन्होंने इस शिखर पर महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।

उन्होने 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का भी नेतृत्व किया। हिमालय के गलियारे में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए काराकोरम पर्वत शृंखला पर समाप्त होने वाला 4,000 किमी लंबा अभियान उनके द्वारा पूरा किया गया था। जिसे इस दुर्गम क्षेत्र में प्रथम महिला अभियान का प्रयास कहा जाता है।

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Karuna Tiwari is an Indian journalist, author, and entrepreneur. She regularly writes useful content on this blog. If you like her articles then you can share this blog on social media with your friends. If you see something that doesn't look right, contact us!

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