विषय-सूची
- आर्टिकल 370 क्या है? (Article 370 in Hindi)
- आर्टिकल 370 का इतिहास (History of Article 370 in Hindi)
- आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार और सुविधाएं देता था।
- धारा 35a क्या है? (Section 35a in Hindi)
- आर्टिकल 35a में लिखा है की
- आर्टिकल 370 कब लागू हुआ? (Article 370 Kab Lagu Hua)
- आर्टिकल 370 किसने बनाया? (Article 370 Kisne Bnaya)
- आर्टिकल 370 क्यों हटाया गया? (Article 370 Kyon Hataya Gaya)
- आर्टिकल 370 कब हटाया गया (Article 370 Kab Hataya Gaya)
- निष्कर्ष (Conclusion)
आर्टिकल 370 क्या है? (Article 370 in Hindi)
“आर्टिकल 370 क्या है? (Article 370 in Hindi)” 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया। लेकिन इसका विभाजन हो गया। भारत से विभाजित हो कर पाकिस्तान एक अलग देश बन गया। तब रियासतों को भारत या पाकिस्तान में स्वतंत्र रहने का अधिकार था। ‘Article 370 Kya Hai’ कुछ रियासतों को छोड़कर, अन्य सभी ने खुशी-खुशी भारत में विलय (Fusion) के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए।
“आर्टिकल 370 क्या है? (Article 370 Kya Hai)” जम्मू और कश्मीर के शासक, “महाराजा हरि सिंह” ने स्वतंत्र रहने का फैसला किया। लेकिन 20 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कबायलियों की ‘आजाद कश्मीर सेना‘ ने कश्मीर पर हमला कर दिया। हालात बिगड़ते देख “महाराजा हरि सिंह” ने भारत से मदद मांगी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने हरि सिंह के सामने अपने राज्य को भारत में मिलाने की शर्त रखी।
भारत की मदद पाने के लिए हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को “इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया (Instruments of Accession of Jammu and Kashmir to India)” पर दस्तखत कर दिया। गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने अगले दिन 27 अक्टूबर, 1947 को इसे स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर का भारत में विधिवत विलय हो गया। लेकिन ‘इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया (Instruments of Accession of Jammu and Kashmir to India)’ की शर्तों में यह शामिल था कि सिर्फ रक्षा, विदेश और संचार मामलों पर बने भारतीय कानून ही जम्मू-कश्मीर में लागू होंगे।
“आर्टिकल 370 क्या है?” कई दिनों की अनिश्चितता के बाद जम्मू-कश्मीर को लेकर मामला साफ हो चुका है। “आर्टिकल 370 क्या है?” केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को वहां से हटा दिया है। ‘Article 370 Kya Hai’ इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बंटवारे का प्रस्ताव रखा गया है। जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश होगा। जहां विधानसभा होगी। “आर्टिकल 370 क्या है? (Article 370 Kya Hai)” लद्दाख केंद्र के अधीन केंद्र शासित प्रदेश रहेगा। जम्मू-कश्मीर पर बीते कुछ दिनों से जारी अनिश्चितता और अटकलों पर विराम लग गया है। मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है।
आर्टिकल 370 का इतिहास (History of Article 370 in Hindi)
- जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ कैसा संबंध होगा।
- इसका ढांचा जम्मू-कश्मीर की सरकार ने ही तैयार किया था।
- जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने 27 मई, 1949 को कुछ बदलाव सहित आर्टिकल 306a (अब आर्टिकल 370 है) को स्वीकार कर लिया।
- फिर 17 अक्टूबर, 1949 को यह आर्टिकल भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया।
- ध्यान रहे कि संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अंगीकृत किया गया था।
- ‘Instruments of Accession of Jammu and Kashmir to India‘ की शर्तों के मुताबिक आर्टिकल 370 में यह उल्लेख किया गया।
- कि देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश मामले और संचार के सेवा अन्य किसी विषय में कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा।
- साथ ही जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति दे दी गई।
- इन्हीं विशेष प्रावधानों के कारण भारत सरकार के बनाए कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते थे।
- इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा भी था।
- वहां सरकारी दफ्तरों में भारत के झंडे के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का झंडा भी लगा रहता था।
- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता भी मिलती थी।
- वह भारत का नागरिक होने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का भी नागरिक होता था।
- कुल मिलाकर कहें तो आर्टिल 370 के कारण मामला एक देश में दो रिपब्लिक जैसा हो गया था।
- वहाँ की लडकिया भारत में शादी नहीं कर सकती थी।
- भारत के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे।
आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार और सुविधाएं देता था।
- जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी।
- इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था।
- यानी वहां राष्ट्रपति शासन नहीं, बल्कि राज्यपाल शासन लगता था।
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान था।
- वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती थी।
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था।
- जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- संविधान में वर्णित राज्य के नीति निदेशक तत्व भी वहां लागू नहीं होते थे।
- कश्मीर में अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं मिलता।
- धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई (RTI) जैसे महत्वपूर्ण कानून लागू नहीं होता था।
- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती थी।
- जम्मू-कश्मीर का ध्वज अलग होता था।
- भारतीय संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है।
- देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते थे।
- लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य की सरकार से अनुमोदन करना होता था।
- यदि कोई कश्मीरी महिला किसी भारतीय से शादी कर लेती थी।
- तो उसकी कश्मीरी नागरिकता ख़त्म हो जाती थी।
- लेकिन यदि वह किसी पाकिस्तानी से शादी कर लेती थी।
- तो उसकी कश्मीरी नागरिकता पर कोई फर्क नहीं पड़ता था।
- यदि कोई पाकिस्तानी लड़का किसी कश्मीरी लड़की से शादी कर लेता था।
- तो उसको भारतीय नागरिकता भी मिल जाती थी।
- भारतीय संविधान के भाग 4 (राज्य के नीति निर्देशक तत्व) और भाग 4a (मूल कर्तव्य) इस राज्य पर लागू नहीं होते थे।
- इस प्रदेश के नागरिकों के लिए महिलाओं की अस्मिता (Women’s Identity), गायों की रक्षा और देश के झंडे इत्यादि का सम्मान करना जरूरी नहीं था।
- जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों “राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज” इत्यादि का अपमान करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता था।
- आर्टिकल 370 के कारण ही केंद्र राज्य पर वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) जैसा कोई भी कानून नहीं लगा सकता था।
- यदि भारत में कोई वित्तीय संकट आता है और भारत सरकार वित्तीय आपातकाल की घोषणा करती है।
- तो इसका जम्मू-कश्मीर राज्य पर कोई फर्क नहीं पड़ता था।
- भारत के संविधान में किसी प्रकार का संशोधन जम्मू-कश्मीर पर स्वतः लागू नहीं होता था।
- जब तक कि इसे राष्ट्रपति के विशेष आदेश द्वारा लागू करने की अनुमति ना दी जाये।
- केंद्र जम्मू-कश्मीर पर केवल दो दशाओं युद्ध और बाहरी आक्रमण के मामले में ही राष्ट्रीय आपातकाल लगा सकता था।
- केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर राज्य के अंदर की गड़बड़ियों के कारण वहां राष्ट्रीय आपातकाल नहीं लगा सकता था।
- उसे ऐसा करने से पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होती थी।
- इस राज्य की सरकारी नौकरियों में सिर्फ इस राज्य के परमानेंट नागरिक ही सिलेक्शन ले सकता था।
- इसके अलावा यहाँ राज्य की स्कॉलरशिप भी यहाँ के लोकल लोगों को ही मिलता था।
धारा 35a क्या है? (Section 35a in Hindi)
- 35a जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल को ‘स्थायी निवासी‘ परिभाषित करने और उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था।
- 35a से जम्मू-कश्मीर के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते थे।
- 14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे।
- उन्हीं को स्थायी निवासी माना जाता था।
- जो जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं था।
- भारत के दुसरे राज्यों में संपत्ति नहीं खरीद सकता था।
- सरकार की नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकता था।
- वहां के विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकता था।
- न ही राज्य सरकार की कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता था।
- अनुच्छेद 370 में समय के साथ कई बदलाव भी हुए।
- 1965 तक वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री नहीं होता था।
- उनकी जगह “सदर-ए-रियासत और प्रधानमंत्री” होता था।
- 35a को 1954 में इसे राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से संविधान में जोड़ा गया था।
- आर्टिकल 35a जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के ‘स्थायी निवासी‘ की परिभाषा तय करने का अधिकार देता था।
- इसके तहत जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को कुछ खास अधिकार दिए गए थे।
- अस्थायी निवासी को उन अधिकारों से वंचित किया गया था।
- अस्थायी नागरिक जम्मू-कश्मीर में न स्थायी रूप से बस सकते थे और न ही वहां संपत्ति खरीद सकते थे।
- अस्थायी नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी और छात्रवृत्ति भी नहीं मिल सकती थी।
- वे किसी तरह की सरकारी मदद के हकदार भी नहीं होते थे।
आर्टिकल 35a में लिखा है की
- जम्मू-कश्मीर का स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है।
- जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो।
- या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से वह उस राज्य में रह रहा हो, साथ ही उसने वहां संपत्ति खरीदी हो।
- भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं बन सकता है।
- इसी कारण वो वहां वोट नहीं डाल सकता है।
- राज्य किसी गैर कश्मीरी व्यक्ति को कश्मीर में जमीन खरीदने से रोकता है।
- अगर जम्मू और कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है।
- तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं।
- साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।
- राज्य सरकार किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है तो उसे किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
- कोई भी बाहरी व्यक्ति राज्य में व्यापारिक संस्थान नहीं खोल सकता है।
आर्टिकल 370 कब लागू हुआ? (Article 370 Kab Lagu Hua)
हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। ‘Article 370 Kya Hai’ भारत को दो हिस्सों में बाटा गया। एक का नाम हिंदुस्तान और दूसरे का नाम पाकिस्तान हुआ। ऐसे में विलय पत्र जरूरी था। तब प्रारूप या ढांचा बनाकर 25 जुलाई 1947 को गवर्नर जनरल माउंटबेटन की अध्यक्षता में सभी रियासतों को बुलाया गया। इन सभी रियासतों को बताया गया कि आपको अपना विलय करना है। वह हिंदुस्तान में करें या पाकिस्तान में, यह आपका निर्णय है।
उस विलय पत्र को सभा में बांट दिया गया। यह विलय पत्र सभी रियासतों (Princely States) के लिए एक ही फॉर्मेट में बनाया गया था। जिसमें कुछ भी लिखना या काटना संभव नहीं था। बस उस पर रियासतों के प्रमुख राजा या नवाब को अपने नाम, पता, देश का नाम और सील लगाकर उस पर दस्तखत करके इसे गवर्नर को देना था। गवर्नर को यह निर्णय लेना था कि कौन सा राजा किस देश के साथ रह सकता है। 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरिसिंह ने अपनी रियासत के भारत में विलय के लिए विलय-पत्र पर दस्तखत किए थे।
आर्टिकल 370 किसने बनाया? (Article 370 Kisne Bnaya)
- 17 अक्टूबर 1949 को एक एक ऐसी घटना घटी जिसके कारण कुछ समय पहले तक जम्मू और कश्मीर विवाद का विषय बना रहता था।
- “गोपाल स्वामी अयंगार” “महाराजा हरि सिंह” के दीवान थे।
- दरअसल संसद में गोपाल स्वामी अयंगार ने कहा कि हम जम्मू और कश्मीर को नया आर्टिकल देना चाहते हैं।
- गोपाल स्वामी अयंगार भारत की पहली कैबिनेट में मंत्री थे।
- संसद में उनसे जब यह पूछा गया कि ऐसा क्यों करना चाहते हैं?
- तब उन्होंने कहा कि आधे कश्मीर पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है और इस राज्य के साथ समस्याएं हैं।
- आधे लोग उधर फंसे हुए हैं और आधे इधर तो अभी वहां की स्थिति भारत के अन्य राज्यों की अपेक्षा अलग है।
- तो ऐसे में वहां के लिए फिलहाल नए आर्टिकल की जरूरत होगी।
- क्योंकि अभी जम्मू और कश्मीर में पूरा संविधान लागू करना संभव नहीं होगा।
- अस्थायी तौर पर उसके लिए 370 लागू करना होग।
- जब वहां हालात सामान्य हो जाएंगे।
- तब इस धारा को भी हटा दिया जाएगा।
- फिलहाल वहां धारा 370 से काम चलाया जा सकता है।
- सबसे कम समय में चर्चा के बाद यह आर्टिकल संसद में पास हो गया।
- यह संविधान में सबसे आखिरी में जोड़ी गई धारा थी।
- भारतीय संविधान के 21वें भाग का 370 एक अनुच्छेद है।
- इस धारा के 3 खंड हैं।
- इसके तीसरे खंड में लिखा है कि भारत का राष्ट्रपति जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा के परामर्श से धारा 370 कभी भी खत्म कर सकता है।
- यहां यह समझने वाली बात यह है कि धारा 370 भारत की संसद लेकर आई थी और वहीं इसे हटा सकती है।
- इस धारा को कोई जम्मू और कश्मीर की विधानसभा या वहां का राजा नहीं लेकर आया था।
- जो हटाया नहीं जा सकता था।
- यह धारा इसलिए लाई गई थी।
- क्योंकि तब वहां युद्ध जैसे हालात थे और उधर (POK) की जनता इधर पलायन करके आ रही थी।
- ऐसे में वहां भारत के संपूर्ण संविधान को लागू करना तत्कालीन प्रधानमंत्री शायद ‘जवाहर लाल नेहरू‘ ने उचित नहीं समझा था।
आर्टिकल 370 क्यों हटाया गया? (Article 370 Kyon Hataya Gaya)
अमित शाह ने बताई वजह, आर्टिकल 370 और 35A को हटाने का क्यों लिया गया फैसला? गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की जड़ भी 370” (Article 370) है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता जम्हूरियत चाहती है। उन्होंने कहा कि 370 की वजह से ही जम्मू कश्मीर का विकास नहीं हुआ। जम्मू कश्मीर में गरीबी के पीछे भी धारा 370 ही है। 35a के कारण ही हुनरमंद लोग जम्मू कश्मीर नहीं जाते। हम धर्म की राजनीति नहीं करते हैं। जम्मू कश्मीर में सिर्फ मुस्लिम नहीं रहते हैं।
घाटी में मुसलमान, हिंदू, सिख, जैन सभी रहते हैं। उन्होंने कहा कि धारा 370 (Article 370) अच्छी है तो सबके लिए है और बुरी है तो सबके लिए बुरी है। धारा 370 ने जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और घाटी के लोगों का बहुत नुकसान किया है। शरणार्थियों को आज तक नागरिकता नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 (Article 370) अस्थाई था और इसे कभी न कभी हटना ही था।
भारत सरकार ने हजारों करोड़ रुपये जम्मू और कश्मीर के लिए भेजे। लेकिन वो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। ‘Article 370 Kya Hai’ 370 का उपयोग करके वहां भ्रष्टाचार को कंट्रोल करने वाले कानून लागू नहीं होने दिए गए। आर्टिकल 370 और 35A हटाने से घाटी का, जम्मू का, लद्दाख का भला होने वाला है। आर्टिकल 370 और 35a हटने के बाद जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बनने वाला है।
आर्टिकल 370 के कारण जम्मू और कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी बड़ी कंपनियां नहीं जा सकती है। ये कंपनियां वहां गई तो वहां के लोगों को रोजगार मिलेगा। बड़ी कंपनियां वहां गईं तो पर्यटन बढ़ेगा। ‘Article 370 Kya Hai’ लेकिन 370 के कारण ये संभव नहीं है। 370 के कारण जम्मू कश्मीर में देश का कोई बड़ा डॉक्टर नहीं जाना चाहता है। क्योंकि वहां वो अपना घर नहीं खरीद सकता है। वहां का मतदाता नहीं बन सकता और वहां खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करता है। 370 आरोग्य में भी बाधक है।
आर्टिकल 370 कब हटाया गया (Article 370 Kab Hataya Gaya)
‘Article 370 Kya Hai’ भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 पेश किया। जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया। जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी। जबकि लद्दाख बिना विधायी वाली केंद्रशासित क्षेत्र होगा।
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निष्कर्ष (Conclusion)
“आर्टिकल 370 क्या है? (Article 370 in Hindi)” केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को आंशिक तौर पर खत्म कर दिया है। मोदी सरकार के इस फैसले के साथ ही जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित राज्य बन गया है और लद्दाख को एक अलग प्रदेश बनाया गया है। “Article 370 Kya Hai” हालांकि, जम्मू-कश्मीर के पास अपना विधानसभा होगा, मगर लद्दाख के पास नहीं होगा। गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया जिसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे। शाह ने कहा कि विगत में 1950 और 1960 के दशकों में तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने इसी तरीके से अनुच्छेद 370 में संशोधन किया था। हमने भी यही तरीका अपनाया है।
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 का उन्मूलन राज्य को भारत संघ में पूरी तरह से समाहित करेगा। ‘Article 370 Kya Hai’ जैसा कि 1950 में अन्य देशी रियासतों का किया गया था। साथ ही राज्य के बाशिंदे अन्य नागरिकों की तरह समान अधिकारों का उपयोग कर सकेंगे। अधिकारियों ने बताया कि अनुच्छेद 370 के रद्द होने से अनुच्छेद ’35 ए अपने आप ही अमान्य हो जाएगा। इस तरह भूमि, कारोबार और रोजगार पर वहां के बाशिंदों के विशेषाधिकार भी खत्म हो जाएंगे।
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